शनिवार, 31 दिसंबर 2016
शनिवार, 24 दिसंबर 2016
सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के शहीदी दिवस पर कोटि-कोटि नमन और सादर श्रद्धांजली!!!
सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के पुत्र. मां.पत्नी और मोती राम गन्ने के बेलने में पीड़ कर शहीद कर दिये गये |
सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के शहीदी दिवस पर कोटि-कोटि नमन और सादर श्रद्धांजली!!!
सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के पुत्र. मां.पत्नी और मोती राम गन्ने के बेलने में पीड़ कर शहीद कर दिये गये थे। मोती राम के पिता हरिया राम आनन्दपुर साहिब में शहीद हुये थे तथा चाचा हिम्मत राय गुरू गोविन्द सिंह के पांच प्यारों में एक थे। माता गुजरी तथा दो साहिबजादों को तीन दिन तक नवाब सरहिंद से चोरी-चोरी दूध पिलाने व सेवा करने के जुर्म में अपनी माता, पत्नी और पुत्र के साथ गन्ने के कोल्हू में पीड़ कर शहीद कर दिये गये।
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी एवं सभा के तमाम पदाधिकारी सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा, उसके परिवार एवं साहिबजादों की अमर शहादत को कोटि-कोटि नमन करते हैं और भावपूर्ण सादर श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा अमर रहें।
माता गुजरी व दो साहिबजादों, जिन्हें सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा ने जिन परिस्थितियों में दूध पिलाकर सेवा की और अपने पूरे परिवार की कुर्बानी दी, उनकीं शौर्यगाथा नीचे दी जा रही है।
26 दिसम्बर: श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत की शौर्यगाथा
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यह वीर गाथा उन सुकुमारों की है जिनकी शहादत के समय अभी दूध के दांत भी नहीं गिरे थे।
रात अधेरी और सरसा नदी की बाढ़ के कारण श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी का परिवार काफिले से बिछुड़ गया। माता गुजर कौर (गुजरी जी) अपने दो छोटे पोत्रों जोरावर सिंह तथा फतेह सिंह व अपने रसोइये गंगा राम (गंगु ब्राह्मण) के साथ आगे बढ़ती हुए रास्ता भटक गईं। उन्हें गंगा राम ने सुझाव दिया कि यदि आप मेरे साथ मेरे गांव सहेड़ी चलें तो यह संकट का समय सहज ही व्यतीत हो जाएगा। माता जी ने स्वीकृति दे दी और सहेड़ी गांव गंगा राम रसोइये के घर पहुंच गये।
माता गुजरी जी के पास एक थैली थी, जिसमें कुछ स्वर्ण मुद्राएं थीं, जिन पर गंगा राम की दृष्टि पड़ गई। गंगू की नीयत खराब हो गई। उसने रात में सोते हुए माता गुजरी जी के तकिये के नीचे से स्वर्ण मुद्राओं की थैली चुपके से चुरा ली और छत पर चढ़कर चोर चोर का शोर मचाने लगा। माता जी ने उसे शान्त कराने का प्रयास किया, किन्तु गंगू तो चोर-चतुर का नाटक कर रहा था।
इस पर माता जी ने कहा गंगू थैली खो गई है तो कोई बात नहीं, बस केवल तुम शांत बने रहो। किन्तु गंगू के मन में धैर्य कहां? उन्हीं दिनों सरहिन्द के नवाब वजीद खान ने गांव-गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया कि गुरू साहिब व उनके परिवार को कोई पनाह न दे। पनाह देने वालों को सख्त सजा दी जायेगी और उन्हें पकड़वाने वालों को इनाम दिया जाएगा।
गंगा राम पहले तो यह ऐलान सुनकर भयभीत हो गया कि मैं बेवजह मुसीबत में फंस जाऊंगा। फिर उसने सोचा कि यदि माता जी व साहिबजादों को पकड़वा दूं तो एक तो सूबे के कोप से बच जाऊंगा तथा दूसरा ईनाम भी प्राप्त करूंगा। गंगू नमक हराम निकला। उसने मोरिंडा की कोतवाली में कोतवाल को सूचना देकर इनाम के लालच में बच्चों को पकड़वा दिया।
थानेदार ने एक बैलगाड़ी में माता जी तथा बच्चों को सरहिन्द के नवाब वजीर खान के पास कड़े पहरे में भिजवा दिया। वहां उन्हें सर्द ऋतु की रात में ठण्डे बुरज में बन्द कर दिया गया और उनके लिए भोजन की व्यवस्था तक नहीं की गई। दूसरी सुबह एक दूध वाले (मोती लाल मेहरा) ने माता जी तथा बच्चों को दूध पिलाया।
नवाब वजीर खान जो गुरू गोबिन्द सिंह जी को जीवित पकड़ने के लिए सात माह तक सेना सहित आनन्दपुर के आसपास भटकता रहा, परन्तु निराश होकर वापस लौट आया था, उसने जब गुरू साहिब के मासूम बच्चों तथा वृद्ध माता को अपने कैदियों के रूप में देखा तो बहुत प्रसन्न हुआ। उसने अगली सुबह बच्चों को कचहरी में पेश करने के लिए फरमान जारी कर दिया।
दिसम्बर की बर्फ जैसी ठण्डी रात को, ठण्डे बुरज में बैठी माता गुजरी जी अपने नन्हें नन्हें दोनों पोतों को शरीर के साथ लगाकर गर्माती और चूम-चूम कर सुलाने का प्रयत्न करती रहीं। माता जी ने भोर होते ही मासूमों को जगाया तथा स्नेह से तैयार किया। दादी-पोतों से कहने लगी ‘पता है ! तुम उस गोबिन्द सिंह ‘शेर’ गुरू के बच्चे हो, जिसने अत्याचारियों से कभी हार नहीं मानी। धर्म की आन तथा शान के बदले जिसने अपना सर्वत्र दांव पर लगा दिया और इससे पहले अपने पिता को भी शहीदी देने के लिए प्रेरित किया था। देखना कहीं वजीर खान द्वारा दिये गये लालच अथवा भय के कारण धर्म में कमजोरी न दिखा देना। अपने पिता व धर्म की शान को जान न्यौछावर करके भी कायम रखना।
दादी, पोतों को यह सब कुछ समझा ही रही थी कि वजीर खान के सिपाही दोनों साहिबजादों को कचहरी में ले जाने के लिए आ गये। जाते हुए दादी मां ने फिर सहिबजादों को चूमा और पीठ पर हाथ फेरते हुए उन्हें सिपाहियों के संग भेज दिया। कचहरी का बड़ा दरवाजा बंद था। साहिबजादों को खिड़की से अन्दर प्रवेश करने को कहा गया।
रास्ते में उन्हें बार बार कहा गया था कि कचहरी में घुसते ही नवाब के समक्ष शीश झुकाना है। जो सिपाही साथ जा रहे थे वे पहले सर झुका कर खिड़की के द्वारा अन्दर दाखिल हुए। उनके पीछे साहबजादे थे। उन्होंने खिड़की में पहले पैर आगे किये और फिर सिर निकाला। थानेदार ने बच्चों को समझाया कि वे नवाब के दरबार में झुककर सलाम करें।
किन्तु बच्चों ने इसके विपरीत उत्तर दिया और कहा - यह सिर हमने अपने पिता गुरू गोबिन्द सिंह के हवाले किया हुआ है, इसलिए इसको कहीं और झुकाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।
कचहरी में नवाब वजीर खान के साथ और भी बड़े बड़े दरबारी बैठे हुए थे। दरबार में प्रवेश करते ही जोरावर सिंह तथा फतेह सिंह दोनों भाईयों ने गर्ज कर जयकारा लगाया, ‘वाहिगुरू जी का खालसा, वाहिगुरू जी की फतेह’। नवाब तथा दरबारी, बच्चों का साहस देखकर आश्चर्य में पड़ गये।
एक दरबारी सुच्चानंद ने बच्चों से कहा - ऐ बच्चों ! नवाब साहब को झुककर सलाम करो।
साहिबजादों ने उत्तर दिया - ‘हम गुरू तथा ईश्वर के अतिरिक्त किसी को भी शीश नहीं झुकाते, यही शिक्षा हमें प्राप्त हुई है’।
नवाब वजीर खान कहने लगा - ओए ! तुम्हारा पिता तथा तुम्हारे दोनों बड़े भाई युद्ध में मार दिये गये हैं। तुम्हारी तो किस्मत अच्छी है जो मेरे दरबार में जीवित पहुंच गये हो। इस्लाम धर्म को कबूल कर लो तो तुम्हें रहने को महल, खाने को भांति भांति के पकवान तथा पहनने को रेशमी वस्त्र मिलेंगे। तुम्हारी सेवा में हर समय सेवक रहेंगे। बड़े हो जाओगे तो बड़े-बड़े मुसलमान जरनैलों की सुन्दर बेटियों से तुम्हारी शादी कर दी जायेगी। तुम्हें सिक्खी से क्या लेना है ? सिक्ख धर्म को हमने जड़ से उखाड़ देना है। हम सिक्ख नाम की किसी वस्तु को रहने ही नहीं देंगे। यदि मुसलमान बनना स्वीकार नहीं करोगे तो कष्ट दे देकर मार दिये जाओगे और तुम्हारे शरीर के टुकड़े सड़कों पर लटका दिये जायेंगे ताकि भविष्य में कोई सिक्ख बनने का साहस ना कर सके।’’ नवाब बोलता गया। पहले तो बच्चे उसकी मूर्खता पर मुस्कराते रहे, फिर नवाब द्वारा डराने पर उनके चेहरे लाल हो गये।
इस बार जोरावर सिंह दहाड़ उठा - हमारे पिता अमर हैं। उसे मारने वाला कोई जन्मा ही नहीं। उस पर अकालपुरूष (प्रभु) का हाथ है। उस वीर योद्धा को मारना असम्भव है। दूसरी बात रही, इस्लाम कबूल करने की, तो हमें सिक्खी जान से अधिक प्यारी है। दुनियां का कोई भी लालच व भय हमें सिक्खी से नहीं गिरा सकता। हम पिता गुरू गोबिन्द सिंह के शेर बच्चे हैं तथा शेरों की भान्ति किसी से नहीं डरते। हम इस्लाम धर्म कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। तुमने जो करना हो, कर लेना। हमारे दादा श्री गुरू तेग बहादुर साहिब ने शहीद होना तो स्वीकार कर लिया परन्तु धर्म से विचलित नहीं हुए। हम उसी दादा जी के पोते हैं, हम जीते जी उनकी शान को आंच नहीं आने देंगे।
सात वर्ष के जोरावर सिंह तथा पांच वर्ष के फतेह सिंह के मुंह से बहादुरों वाले ये शब्द सुनकर सारे दरबार में चुप्पी छा गई। नवाब वजीर खान भी बच्चों की बहादुरी से प्रभावित हुए बिना न रह सका। परन्तु उसने काजी को साहिबजादों के बारे में फतवा, सजा देने को कहा।
काजी ने उत्तर दिया कि बच्चों के बारे में फतवा, दण्ड नहीं सुनाया जा सकता।
इस पर सुच्चानन्द बोला - इतनी अल्प आयु में ये राज दरबार में इतनी आग उगल सकते हैं तो बड़े होकर तो हकूमत को ही आग लगा देंगे। ये बच्चे नहीं, सांप हैं, सिर से पैर तक जहर से भरे हुए। एक गुरू गोबिन्द सिंह ही बस में नहीं आते तो जब ये बड़े हो गये तो उससे भी दो कदम आगे बढ़ जायेंगे। सांप को पैदा होते ही मार देना चाहिए। देखो, इनका हौसला ! नवाब का अपमान करने से नहीं झिझके। इनका तो अभी से काम तमाम कर देना चाहिए। नवाब ने बाकी दरबारियों की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा कि कोई और सुच्चानन्द की बात का समर्थन करता है अथवा नहीं, परन्तु सभी दरबारी मूर्तिव्रत खड़े रहे। किसी ने भी सुच्चा नन्द की हां में हां नहीं मिलाई।
तब वजीर खान ने मालेरकोटले के नवाब से पूछा - ‘‘आपका क्या ख्याल है ? आपका भाई और भतीजा भी तो गुरू के हाथों चमकौर में मारे गये हैं। लो अब शुभ अवसर आ गया है बदला लेने का, इन बच्चों को मैं आपके हवाले करता हूं। इन्हें मृत्युदण्ड देकर आप अपने भाई-भतीजे का बदला ले सकते हैं।’’
मालेरकोटले का नवाब पठान पुत्र था। उस शेर दिल पठान ने मासूम बच्चों से बदला लेने से साफ इन्कार कर दिया और उसने कहा - ‘‘इन बच्चों का क्या कसूर है ? यदि बदला लेना ही है तो इनके बाप से लेना चाहिए। मेरा भाई और भतीजा गुरू गोबिन्द सिंह के साथ युद्ध करते हुए रणक्षेत्र में शहीद हुए हैं, कत्ल नहीं किये गये हैं। इन बच्चों को मारना मैं बुजदिली समझता हूं। अतः इन बेकसूर बच्चों को छोड़ दीजिए।
मालेरकोटले का नवाब शेरमुहम्मद खान चमकौर के युद्ध से वजीर खान के साथ ही वापिस आया था और वह अभी सरहिन्द में ही था। नवाब पर सुच्चानन्द द्वारा बच्चों के लिए दी गई सलाह का प्रभाव तो पड़ा, पर वह बच्चों को मारने की बजाय इस्लाम में शामिल करने के हक में था। वह चाहता था कि इतिहास के पन्नों पर लिखा जाये कि गुरू गाबिन्द सिंह के बच्चों ने सिक्ख धर्म से इस्लाम को अच्छा समझा और मुसलमान बन गए।
अपनी इस इच्छा की पूर्ति हेतु उसने गुस्से पर नियंत्रण कर लिया तथा कहने लगा - बच्चों जाओ, अपनी दादी के पास। कल आकर मेरी बातों का सही-सही सोचकर उत्तर देना। दादी से भी सलाह कर लेना। हो सकता है तुम्हें प्यार करने वाली दादी तुम्हारी जान की रक्षा के लिए तुम्हारा इस्लाम में आना कबूल कर ले। बच्चे कुछ कहना चाहते थे परन्तु वजीद खान शीघ्र ही उठकर एक तरफ हो गया और सिपाही बच्चों को दादी मां की ओर लेकर चल दिए।
बच्चों को पूर्ण सिक्खी स्वरूप में तथा चेहरों पर पूर्व की भांति जलाल देखकर दादी ने सुख की सांस ली। अकालपुरख का दिल से धन्यवाद किया और बच्चों को बाहों में समेट लिया। काफी देर तक बच्चे दादी के आलिंगन में प्यार का आनन्द लेते रहे। दादी ने आंखें खोलीं कलाई ढीली की, तब तक सिपाही जा चुके थे।
अब माता गुजरी जी आहिस्ता-आहिस्ता पोतों से कचहरी में हुए वार्तालाप के बारे में पूछने लगी। बच्चें भी दादी मां को कचहरी में हुए वार्तालाप के बारे में बताने लगे। उन्होंने सुच्चानन्द की ओर से जलती पर तेल डालने के बारे भी दादी मां को बताया। दादी मां ने कहा, ‘‘शाबाश बच्चों ! तुमने अपने पिता तथा दादा की शान को कायम रखा है। कल फिर तुम्हें कचहरी में और अधिक लालच तथा डरावे दिये जाएंगे। देखना, आज की भांति धर्म को जान से भी अधिक प्यारा समझना और ऐसे ही दृढ़ रहना। अगर कष्ट दिए जाएं तो अकालपुरख का ध्यान करते हुए श्री गुरू तेग बहादुर साहिब और श्री गुरू अरजन देव साहिब जी की शहादत को सामने लाने का प्रयास करना।
भाई मतीदास, भाई सतीदास और भाई दयाला ने भी गुरू चरणों का ध्यान करते हुए मुस्कराते-मुस्कराते तन चिरवा लिया, पानी में उबलवा लिया और रूईं में लिपटवाकर जलकर शहीदी पायी थी। तुम्हारे विदा होने पर मैं भी तुम्हारे सिखी-सिदक की परिपक्वता के लिए गुरू चरणों में और अकालपुरख (परमात्मा) के समक्ष सिमरन में जुड़कर अरदास करती रहुंगी। यह कहते-कहते दादी मां बच्चों को अपनी आलिंगन में लेकर सो गईं।
अगले दिन भी कचहरी में पहले जैसे ही सब कुछ हुआ, और भी ज्यादा लालच दिये गये तथा धमकाया गया। बच्चे धर्म से नहीं डोले। नवाब ने लालच देकर बच्चों को धर्म से फुसलाने का प्रयत्न किया। उसने कहा कि यदि वे इस्लाम स्वीकार कर लें तो उन्हें जागीरें दी जाएंगी। बड़े होकर शाही खानदान की शहजादियों के साथ विवाह कर दिया जाएगा। शाही खजाने के मुंह उनके लिए खोल दिए जाएंगे। नवाब का ख्याल था कि भोली-भाली सूरत वाले ये बच्चे लालच में आ जाएंगे। पर वे तो गुरू गोबिन्द सिंह के बच्चे थे, मामूली इन्सान के नहीं। उन्होंने किसी शर्त अथवा लालच में ना आकर इस्लाम स्वीकार करने से एकदम इन्कार कर दिया।
अब नवाब धमकियों पर उतर आया। गुस्से से लाल पीला होकर कहने लगारू ‘यदि इस्लाम कबूल न किया तो मौत के घाट उतार दिए जाओगे। फांसी चढ़ा दूंगा। जिन्दा दीवार में चिनवा दूंगा। बोलो, क्या मन्जूर हैदृ मौत या इस्लाम ?
जोरावर सिंह ने हल्की सी मुस्कराहट होठों पर लाते हुए अपने भाई से कहा - ‘भाई, हमारे शहीद होने का अवसर आ गया है। ठीक उसी तरह जैसे हमारे दादा गुरू तेग बहादर साहिब जी ने दिल्ली के चांदनी चौक में शीश देकर शहीदी पाई थी। तुम्हारा क्या ख्याल है ?
फतेह सिंह ने उत्तर दिया - ‘भाई जी, हमारे दादा जी ने शीश दिया पर धर्म नहीं छोड़ा। उनका उदाहरण हमारे सामने है। हमने खण्डे बाटे का अमृत पान किया हुआ है। हमें मृत्यु से क्या भय ? मेरा तो विचार है कि हम भी अपना शीश धर्म के लिए देकर मुगलों पर प्रभु के कहर की लानत डालें।
जोरावर सिंह ने कहा - ‘‘हम गुरू गोबिन्द सिंह जैसी महान हस्ती के पुत्र हैं। जैसे हमारे दादा गुरू तेग बहादर साहिब जी शहीद हो चुके हैं। वैसे ही हम अपने खानदान की परम्परा को बनाए रखेंगे। हमारे खानदान की रीति है, ‘सिर जावे तां जावे, मेरा सिक्खी सिदक न जावे।’ हम धर्म परिवर्तन की बात ठुकराकर फांसी के तख्ते को चूमेंगे।’
जोश में आकर फतेह सिंह ने कहा - ‘सुन रे सूबेदार ! हम तेरे दीन को ठुकराते हैं। अपना धर्म नहीं छोडंगे। अरे मूर्ख, तू हमें दुनियां का लालच क्या देता है ? हम तेरे झांसे में आने वाले नहीं। हमारे दादा जी को मारकर मुगलों ने एक अग्नि प्रज्वलित कर दी है, जिसमें वे स्वयं भस्म होकर रहेंगे। हमारी मृत्यु इस अग्नि को हवा देकर ज्वाला बना देगी।
सुच्चानन्द ने नवाब को परामर्श दिया कि बच्चों की परीक्षा ली जानी चाहिए। अतः उनको अनेकों भान्ति भान्ति के खिलौने दिये गये। बच्चों ने उन खिलौनों में से धनुष बाण, तलवार इत्यादि अस्त्र-शस्त्र रूप वाले खिलौने चुन लिए। जब उन से पूछा गया कि इससे आप क्या करोगे तो उनका उत्तर था युद्ध अभ्यास करेंगे। वजीर खान ने चढ़दी कला के विचार सुनकर काजी के मन में यह बात बैठ गई कि सुच्चानन्द ठीक ही कहता है कि सांप के बच्चे सांप ही होते हैं। वजीर खान ने काजी से परामर्श करने के पश्चात उसको दोबारा फतवा देने को कहा।
इस बार काजी ने कहा कि बच्चे कसूरवार हैं क्योंकि बगावत पर तुले हुए हैं। इनको किले की दीवारों में चिनकर कत्ल कर देना चाहिए।
कचहरी में बैठे मालेरकोटले के नवाब शेर मुहम्मद ने कहारू नवाब साहब इन बच्चों ने कोई कसूर नहीं किया इनके पिता के कसूर की सजा इन्हें नहीं मिलनी चाहिए। इस्लाम की शरह अनुसार सजा उसी को मिलनी चाहिए जो कसूरवार हो, दूसरों को नहीं।
काजी बोला - शेर मुहम्मद ! इस्लामी शरह को मैं तुमसे बेहतर जानता हूं। मैंने शरह के अनुसार ही सजा सुना दी है।
तीसरे दिन बच्चों को कचहरी भेजते समय दादी मां की आंखों के सामने होने वाले काण्ड की तस्वीर बनती जा रही थी। दादी मां को निश्चय था कि आज का बिछोड़ा बच्चों से सदा के लिए बिछोड़ा बन जाएगा। परन्तु यकीन था माता गुजरी जी को कि मेरे मासूम पोते आज जीवन कुर्बान करके भी धर्म की रक्षा करेंगे। मासूम पोतों को जी भरकर प्यार किया, माथा चूमा, पीठ थपथपाई और विदा किया, बावर्दी सिपाहियों के साथ, होनी से निपटने के लिये।
दादी मां टिकटिकी लगाकर तब तक सुन्दर बच्चों की ओर देखती रही जब तक वे आंखों से ओझल न हो गये। माता गुजरी जी पोतों को सिपाहियों के साथ भेजकर वापिस ठंडे बुरज में गुरू चरणों में ध्यान लगाकर वाहिगुरू के दर पर प्रार्थना करने लगी, हे अकालपुरख ! (परमात्मा) बच्चों के सिक्खी-सिदक को कायम रखने में सहाई होना। दाता ! धीरज और बल देना इन मासूम गुरू पुत्रों को ताकि बच्चे कष्टों का सामना बहादुरी से कर सकें।
तीसरे दिन साहिबजादों को कचहरी में लाकर डराया धमकाया गया। उनसे कहा गया कि यदि वे इस्लाम अपना लें तो उनका कसूर माफ किया जा सकता है और उन्हें शहजादों जैसी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। किन्तु साहिबजादे अपने निश्चय पर अटल रहे। उनकी दृढ़ता थी कि सिक्खी की शान केशों श्वासों के संग निभानी हैं। उनकी दृढ़ता को देखकर उन्हें किले की दीवार की नींव में चिनवाने की तैयारी आरम्भ कर दी गई किन्तु बच्चों को शहीद करने के लिए कोई जल्लाद तैयार न हुआ।
अकस्मात दिल्ली के शाही जल्लाद साशल बेग व बाशल बेग अपने एक मुकद्दमें के सम्बन्ध में सरहिन्द आये। उन्होंने अपने मुकद्दमें में माफी का वायदा लेकर साहिबजादों को शहीद करना मान लिया। बच्चों को उनके हवाले कर दिया गया। उन्होंने जोरावर सिंह व फतेह सिंह को किले की नींव में खड़ा करके उनके आसपास दीवार चिनवानी प्रारम्भ कर दी।
बनते-बनते दीवार जब फतेह सिंह के सिर के निकट आ गई तो जोरावर सिंह दुःखी दिखने लगे। काजियों ने सोचा शायद वे घबरा गए हैं और अब धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हो जायेंगे। उनसे दुःखी होने का कारण पूछा गया तो जोरावर बोले मृत्यु भय तो मुझे बिल्कुल नहीं। मैं तो सोचकर उदास हूं कि मैं बड़ा हूं, फतेह सिंह छोटा हैं। दुनियां में मैं पहले आया था। इसलिए यहां से जाने का भी पहला अधिकार मेरा है। फतेह सिंह को धर्म पर बलिदान हो जाने का सुअवसर मुझ से पहले मिल रहा है।
छोटे भाई फतेह सिंह ने गुरूवाणी की पंक्ति कहकर दो वर्ष बड़े भाई को सांत्वना दी।
चिंता ताकि कीजिए, जो अनहोनी होइ ।।
इह मारगि संसार में, नानक थिर नहि कोइ ।।
और धर्म पर दृढ़ बने रहने का संकल्प दोहराया। बच्चों ने अपना ध्यान गुरू चरणों में जोड़ा और गुरूबाणी का पाठ करने लगे। पास में खड़े काजी ने कहा, अभी भी मुसलमान बन जाओ, छोड़ दिये जाओगे। बच्चों ने काजी की बात की ओर कोई ध्यान नहीं दिया अपितु उन्होंने अपना मन प्रभु से जोड़े रखा।
दीवार फतेह सिंह के गले तक पहुंच गई काजी के संकेत से एक जल्लाद ने फतेह सिंह तथा उस के बड़े भाई जोरावर सिंह का शीश तलवार के एक वार से कलम कर दिया। इस प्रकार श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के सुपुत्रों ने अल्प आयु मे ही शहादत प्राप्त की।
माता गुजरी जी बच्चे के लौटने की प्रतीक्षा में गुम्बद की मीनार पर खड़ी होकर राह निहार रही थीं। माता गूजरी जी भी छोटे साहिबजादों जी की शहीदी का समाचार सुनकर ठंडे बूर्ज में ही शरीर त्याग गईं यानि शहीदी प्राप्त की।
इसके बाद माता गुजरी तथा दो साहिबजादों को तीन दिन तक नवाब सरहिंद से चोरी-चोरी दूध पिलाने व सेवा करने के जुर्म में सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के साथ उनके पुत्र. मां और पत्नी को गन्ने के कोल्हू में पीड़ कर शहीद कर दिये गये।
देश, धर्म और समाज पर कुर्बानी देने वाले अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन और सादर श्रद्धांजली!!!
- राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)।
मोबाईल नं: 9416629889
बुधवार, 14 दिसंबर 2016
हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र: आदर्श एवं आधुनिकता की तरफ बढ़ते ठोस कदम!!
हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र: आदर्श एवं आधुनिकता की तरफ बढ़ते ठोस कदम!!
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आदरणीय मित्रों! हरियाणा कश्यप राजपूत समाज की आन-बान-शान कहलाने वाली हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिह मतौरिया जी एवं कमेटी के वरिष्ठ समाजसेवी सदस्यो के अथक प्रयासांे, असीम सहयोग तथा समाज समर्पित भावनाओं के चलते आदर्श एवं आधुनिकता की तरफ तेजी से बढ़ रही है।
हमारे अध्यक्ष महोदय ने कम्प्यूटर, प्रिन्टर, फोटोस्टेट, वाई-फाई सहित कई महत्वपूर्ण सुविधाओं के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है। अब हमारे कश्यप समाज का ‘‘मुख्य सचिवालय’’ हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र निम्नलिखित आधुनिक सेवाओं से सुसज्जित होगी: -
-स्वच्छ प्रांगण, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ बाथरूम और स्वच्छ वातावरण।
- कमरों में बिस्तर, पंखों आदि की बढ़िया व्यवस्था।
- 24 घण्टे बिजली की सुविधा। (जनरेटर की सुविधा शुरू हो चुकी है।)
- सीसीटीवी कैमरों से युक्त। (प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं।)
- हर समय चाय/जलपान/भोजन की व्यवस्था।
- मेहमानों के लिए निःशुल्क वाई-फाई सुविधा।
- कम्प्यूटर, प्रिन्टर, फोटोस्टेट जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं
- अनुभवी एवं सेवा समर्पित प्रबन्धन एवं पदाधिकारी।
- पारदर्शी आय-व्यय व्यवस्था।
- ऑनलाईन व्यवस्था एवं गतिविधियां (इसके लिए ‘कश्यप समाज’ ब्लॉग का संचालन किया जा रहा है।)
- धर्मशाला के बैंक खाते की ईमानदार व पारदर्शी व्यवस्था के लिए प्रबन्धन कमेटी में बदलाव करते हुए तीन नियुक्तियां: 1. श्री राजेश कुमार कश्यप, रोहतक (प्रधान), 2. श्री प्रवीण कुमार कश्यप, जीन्द (सचिव) और श्री देशराज कश्यप, कुरूक्षेत्र (कोषाध्यक्ष) की गई हैं।
- महापुरूषों के प्रेरक विचारों को दर्शाती वाल-पट्टिकाएं (जल्द)
- पुस्तकालय (जल्द)
- आधुनिक मन्दिर (निर्माणाधीन)।
- समाज समर्पित एवं प्रेरक कार्यक्रमों व गतिविधियों के लिए समर्पित।
आपके अमूल्य विचारों एवं सुझावों की अभिलाषा के साथ,
सादर...
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184),
मोबाईल/वाट्सअप नंबर: 9416629889
email : rajeshtitoli@gmail.com
www.kashyapsamaj.blogspot.in
सोमवार, 12 दिसंबर 2016
समाजहित में तीन अति महत्वपूर्ण नियुक्तियां !!
समाजहित में तीन अति महत्वपूर्ण नियुक्तियां !!
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आदरणीय मित्रों ! हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि.184) की मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी ने समाजहित में अपने अधिकारों एवं शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन अति महत्वपूर्ण नियुक्तियों के रूप में कमेटी के तीन वरिष्ठ पदाधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां तुरंत प्रभाव से सौंपी हैं।
ये तीन महत्वपूर्ण नियुक्तियां हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र के बैंक खाते (समाज के पैसे) को पूर्णतः पारदर्शी, जवाबदेह एवं भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने के लिए की गई हैं।
ये तीन नियुक्तियां निम्नलिखित रूप से की गई हैं:
1. श्री राजेश कुमार कश्यप
‘टिटौली’, रोहतक
कार्यकारी प्रधान
मोबाईल नं.: 9416629889
2. श्री प्रवीण कुमार कश्यप
कृष्णा कॉलोनी, जीन्द
कार्यकारी सचिव
मोबाईल नं.: 9416366255, 946686293
3. श्री देशराज कश्यप,
पेहोवा, कुरूक्षेत्र
कार्यकारी कोषाध्यक्ष
मोबाईल नं.: 9416037392
नोट: 1. उपर्युक्त नियुक्तियां पूर्णतः अस्थायी तौरपर की गई हैं, जिन्हें मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी समय एवं परिस्थितियों के अनुसार अपने विवेक से कार्यमुक्त करके, नई नियुक्तियां कर सकेंगे।
2. उपर्युक्त तीनों पदाधिकारियों को लिखित में नियुक्ति-पत्र एवं जिम्मेदारियों/दायित्वों के साथ-साथ आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे दिए गए हैं।
3. उपर्युक्त कार्यकारिणी के कोई भी दो पदाधिकारी हस्ताक्षर करके बैंक के जरिए लेनदेन करने में सक्षम होंगे।
4. बैंक लेनदेन के एसएमएस अलर्ट/नोटिफिकेशन के लिए मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी का मोबाईल नंबर अधिकृत होगा।
5. उपर्युक्त कार्यकारिणी मासिक विवरण तैयार करने, सभा एवं धर्मशाला प्रबन्धन के प्रति जवाबदेह रहने एवं वार्षिक ऑडिट करवाने के लिए प्रतिबद्ध की गई है।
6. ‘कैशलैश’ लेनदेन को बढ़ावा दिया जायेगा और बैंक से उपर्युक्त कार्यकारिणी के पदाधिकारी ‘स्वाईप मशीन’ जारी करवाने के लिए अधिकृत किए गए हैं।
7. हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र के बैंक खाते की चैक-बुक कार्यकारिणी के नवनियुक्त प्रधान श्री राजेश कुमार कश्यप को सौंप दी गई है।
विशेष नोट: उपर्युक्त कार्यकारिणी का गठन पुरानी कार्यकारिणी के दो सदस्यों प्रधान व सचिव द्वारा समाजहित में स्व-विवेक से मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी को त्यागपत्र सौंपने एवं एक सदस्य (कोषाध्यक्ष) के पिछले दिनों स्वर्गवास हो जाने के कारण बदली हुई परिस्थितियों के बीच किया गया है।
आदेशानुसार:
आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी,
अध्यक्ष,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
रविवार, 30 अक्टूबर 2016
एक पावन दीया शहीदों के नाम
देश के शहीदों की शहादत को कोटि-कोटि सलाम!
आज दीपावली का एक पावन दीया शहीदों के नाम!!
जय हिन्द! जय भारत!! जय जवान!!! वन्देमातरम्!!!
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
टिटौली (रोहतक) हरियाणा।
मोबाईल नं.: 9416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com
दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं
HAPPY DEEPAWALI |
‘पावन एवं प्रकाश पर्व दीपावली’ पर आपको सपरिवार हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं। हम भगवान से कामना करते हैं कि यह पर्व आपके जीवन में अपार उमंग, उन्नति एवं समृद्धि लेकर आए और सुख, शांति एवं सौहार्द का प्रकाश फैले। कृपया पारंपरिक रूप से पर्व को मनाएं। नशे, जुए जैसे दुर्व्यसनों से बचें। बम-पटाखों से परहेज रखते हुए वातावरण प्रदूषित होने से बचाएं। दीप व फूलझड़ियां जलाएं। एक दीप भारतीय सेना के शूरवीर जाबांज शहीदों की स्मृति एवं सम्मान में जरूर जलाएं। आपसी एकता एवं सौहार्द के साथ पर्व को मनाएं। पुनः आपको दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं।
-बलजीत सिंह मतौरिया,
अध्यक्ष,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
(राजेश कश्यप, प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी।)
शनिवार, 8 अक्टूबर 2016
सितम्बर, 2016 का आय-व्यव विवरण
हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र
सितम्बर, 2016 का आय-व्यव विवरण
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31.08.2016 को CASH IN HAND = 2,12,730.00 रूपये
1.09.2016 से 30.09.2016 तक कुल आय = 2,47,097.00 रूपये
TOTAL CASH (2,12,730.00+2,47,097.00)= 4,59,827.00 रूपये
1.09.2016 से 30.09.2016 तक कुल व्यय = 3,11,578.00 रूपये
30.09.2016 को TOTAL CASH IN HAND (4,59,827.00-3,11,578.00) = 1.48,249.00 रूपये
- राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
मोबाईल नं.: 9416629889
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रविवार, 25 सितंबर 2016
आय-व्यव विवरण 16.09.2015 से 31.08.2016 तक
व्यवस्था व संचालन में पारदर्शिता की संकल्पबद्धता के तहत
हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाल, कुरूक्षेत्र
(आय-व्यव विवरण 16.09.2015 से 31.08.2016 तक)
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आय (16.09.2015 से 31.08.2016 तक)
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16.09.2015 से 30.09.2015 तक = 32550.00 रूपये
01.10.2015 से 31.10.2015 तक = 137889.00 रूपये
01.11.2015 से 30.11.2015 तक = 125100.00 रूपये
01.12.2015 से 31.12.2015 तक = 182440.00 रूपये
01.01.2016 से 31.01.2016 तक = 132901.00 रूपये
01.02.2016 से 29.02.2016 तक = 168140.00 रूपये
01.03.2016 से 31.03.2016 तक = 203552.00 रूपये
01.04.2016 से 30.04.2016 तक = 167336.00 रूपये
01.05.2016 से 31.05.2016 तक = 200600.00 रूपये
01.06.2016 से 30.06.2016 तक = 418032.00 रूपये
01.07.2016 से 31.07.2016 तक = 311666.00 रूपये
01.08.2016 से 31.08.2016 तक = 178715.00 रूपये
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16.09.2015 से 31.08.2016 तक कुल आय = 2258921.00 रूपये
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व्यय (16.09.2015 से 31.08.2016 तक)
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16.09.2015 से 30.09.2015 तक = 25362.00 रूपये
01.10.2015 से 31.10.2015 तक = 45272.00 रूपये
01.11.2015 से 30.11.2015 तक = 192548.00 रूपये
01.12.2015 से 31.12.2015 तक = 196496.00 रूपये
01.01.2016 से 31.01.2016 तक = 154741.00 रूपये
01.02.2016 से 29.02.2016 तक = 112836.00 रूपये
01.03.2016 से 31.03.2016 तक = 244495.00 रूपये
01.04.2016 से 30.04.2016 तक = 84207.00 रूपये
01.05.2016 से 31.05.2016 तक = 154930.00 रूपये
01.06.2016 से 30.06.2016 तक = 449037.00 रूपये
01.07.2016 से 31.07.2016 तक = 217531.00 रूपये
01.08.2016 से 31.08.2016 तक = 168736.00 रूपये
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16.09.2015 से 31.08.2016 तक कुल व्यय = 2046191.00 रूपये
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31.08.2016 तक TOTAL CASH IN HAND = 2258921.00-2046191.00 = 212730.00 रूपये
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नोट: हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की मुख्य प्रशासनिक कमेटी आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी की अध्यक्षता में 13.09.2015 को गठित हुई थी, जिसने हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र के संचालन का दायित्व 16.09.2015 से संभाला था। तब से लेकर अब तक के आय-व्यव का संक्षिप्त विवरण व्यवस्था व संचालन में पारदर्शिता की संकल्पबद्धता के तहत समाज के अवलोकनार्थ सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। विस्तृत विवरण देखने के लिए हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र के मैनेजर को कोई भी व्यक्ति आवेदन दे सकता है और समुचित प्रक्रिया का पालन करते हुए देख सकता है।
- राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
मोबाईल नं.: 9416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com
www.kashyapsamaj.blogspot.in
शनिवार, 24 सितंबर 2016
हाईटेक हो रही हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र
हाईटेक हो रही हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र
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आदरणीय मित्रों! आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र पूरी तरह हाईटेक होने जा रही है। इस दिशा में हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की प्रशासनिक कमेटी ने काफी तेजी से कदम बढ़ाए हैं और उनमें सफलता हासिल की है।
धर्मशाला में लगाए गए जनरेटर का निरीक्षण करते हुए मुख्य प्रशासनिक कमेटी अध्यक्ष श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी। |
धर्मशाला में 24 घण्टे बिजली की सुविधा देने रखने के लिए जनरेटर की व्यवस्था कर दी गई है।
धर्मशाला में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे। |
धर्मशाला को सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में लाने के लिए 14 हाई लेवल के सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं।
इसके साथ ही धर्मशाला व हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की गतिविधियों एवं योजनाओं की पारदर्शिता व अन्य विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जल्द ही एक वेबसाईट लांच की जाएगी। धर्मशाला के आय-व्यय को पारदर्शी बनाए रखने के लिए प्रतिमाह सोशल मीडिया के जरिए संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। विस्तृत विवरण कोई भी व्यक्ति धर्मशाला के मैनेजर को आवेदन करके एवं समुचित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए देख सकता है।
धर्मशाला कुरूक्षेत्र में एक शिकायत व सुझाव पेटिका लगाई गई है। कोई भी व्यक्ति अपने सुझाव अथवा शिकायत लिखकर इस पेटी में डाल सकता है। ऑन लाईन सुझाव या शिकायत देने के लिए ‘कश्यप समाज ब्लॉग’, दिए गए वॉटसअप नंबर व ईमेल का प्रयोग किया जा सकता है।
इन सबके अलावा धर्मशाला व सभा को पूर्णतः पारदर्शी, जवाबदेह व समाज समर्पित बनाए जाने की तरफ कई अन्य रचनात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्य प्रशासनिक कमेटी के दिशा-निर्देशन में लिये जा रहे निर्णयों व प्रयासों को समाज से असीम समर्थन व सहयोग मिल रहा है, जिसके लिए मुख्य प्रशासनिक कमेटी आभार व धन्यवाद व्यक्त करती है।
उल्लेखनीय है कि इस समय हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) का संचालन मुख्य प्रशासनिक कमेटी कर रही है, जिसका गठन 13 सितम्बर, 2015 को हुआ था। इसके अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी हैं। इस समय हरियाणा भर से 30 विशिष्ट समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी लोग बतौर सदस्य इस कमेटी में शामिल हैं।
सादर।
आपका स्नेहाकांक्षी,
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
मुख्य प्रशासनिक कमेटी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
मोबाईल नं. 9416629889
सोमवार, 19 सितंबर 2016
सेल्फी विशिष्ट समाजसेवियों के साथ
सेल्फी विशिष्ट समाजसेवियों के साथ
एक सेल्फी वरिष्ठ समाजसेवी श्री बलबीर कश्यप जी के साथ राजेश कश्यप ‘टिटौली’ |
एक सेल्फी युवा समाजसेवी श्री ईशम सिंह कश्यप जी के साथ राजेश कश्यप ‘टिटौली’ |
गत 18 सितम्बर, 2016 को कैथल में हुई समाजसेवियों की बैठक में समाज के युवा समाजसेवी आदरणीय श्री ईशम सिंह कश्यप जी से मुलाकात हुई। वे कैथल जिले के गोध गाँव के नवनिर्वाचित सरपंच हैं। वे समाज के सर्वांगीण विकास में अहम भागीदारी कर रहे हैं। उनकी इच्छा है कि हमारा समाज उन्नति के शिखर पर पहुंचे। उनके सामाजिक योगदान व विचारों की जितनी प्रशंसा की जाए, उतना कम है। हमें ऐसे समाजसेवी पर बेहद गर्व है। इस युवा विशिष्ट समाजसेवी के साथ एक सेल्फी तो बनती ही थी। वो सेल्फी आपके साथ सांझा करते हुए अति हर्ष हो रहा है।
एक सेल्फी युवा समाजसेवी श्री सतीश कश्यप जी के साथ राजेशकश्यप ‘टिटौली’ |
गत 18 सितम्बर, 2016 को कैथल में हुई समाजसेवियों की बैठक में समाज के युवा समाजसेवी आदरणीय श्री सतीश कश्यप जी से मुलाकात हुई। वे अपने गाँव के सरपंच बनते-बनते रह गए। उन्होंने चुनावों के दौरान विपक्षी को कड़ी टक्कर दी। समाजसेवा में वे हमेशा आगे रहते हैं। समाज की मिटिंगों में वे बढ़चढ़कर भागीदारी करते है। वे समाज के विकास में हर सहयोग देने के लिए तैयार रहते हैं। हमें ऐसे समाजसेवी पर बेहद गर्व है। इस होनहार और उत्साही युवा विशिष्ट समाजसेवी के साथ एक सेल्फी तो बनती ही थी। वो सेल्फी आपके साथ सांझा करते हुए अति हर्ष हो रहा है।
एक सेल्फी युवा समाजसेवी श्री रामफल कश्यप जी के साथ राजेश कश्यप ‘टिटौली’ |
गत 18 सितम्बर, 2016 को कैथल में हुई समाजसेवियों की बैठक में समाज के युवा समाजसेवी आदरणीय श्री रामफल कश्यप जी से मुलाकात हुई। वे अपने गाँव के सरपंच रह चुके हैं और गुहला के हल्का प्रधान हैं। समाज की उन्नति एवं विकास की कसक उनमें देखते ही बनती है। वे तन-मन-धन से समाज की सेवा में निःस्वार्थ भाव से जुटे हुए हैं। उनकी समाज के प्रति निष्ठा व सेवाभावना को देखकर बेहद खुशी एवं प्रेरणा मिलती है। हमें ऐसे समाजसेवी पर बेहद गर्व है। इस होनहार और उत्साही युवा विशिष्ट समाजसेवी के साथ एक सेल्फी तो बनती ही थी। वो सेल्फी आपके साथ सांझा करते हुए अति हर्ष हो रहा है।
सादर...
राजेश कश्यप ‘टिटौली’
कैथल की चिंतन बैठक में कश्यप समाज से जुड़े मुद्दों पर हुआ गहन विचार-विमर्श
कैथल की चिंतन बैठक में कश्यप समाज से जुड़े मुद्दों पर हुआ गहन विचार-विमर्श
कैथल में कश्यप समाज के बुद्धिजीवी समाजसेवियों की एक बैठक |
दिनांक 18 सितम्बर, 2016 को कैथल जिले में जवाहर पार्क (नजदीक पुराना बस अड्डा) में कैथल के कश्यप समाज के बुद्धिजीवी समाजसेवियों की एक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कश्यप एकता जाग्रति मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह कश्यप ने की। बैठक के मुख्य अतिथि हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष श्री देशराज कश्यप और विशिष्ट अतिथि जिला परिषद सदस्य श्री सुरेन्द्र कश्यप माजरी व हरियाणा कश्यप राजपूत सभा की मुख्य प्रशासनिक कमेटी के प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी राजेश कश्यप ‘टिटौली’ थे। बैठक का संचालन वरिष्ठ समाजसेवी एवं प्रिन्सीपल श्री बलबीर सिंह कश्यप ने किया। इस चिंतन बैठक में कैथल जिले के सैंकड़ों समाजसेवियों व चिन्तकों ने सक्रिय भागीदारी की।
आपसी खींचतान में नहीं मिल पाई समाज को उचित राजनीतिक भागीदारी : देशराज कश्यप
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री देशराज कश्यप |
इस चिंतन बैठक में हरियाणा कश्यप समाज से जुड़े मुद्दों पर व्यापक-विचार विमर्श हुआ। इसमें कश्यप समाज के बुद्धिजीवियों ने समाज की वर्तमान परिस्थितियों, विडम्बनाओं, समस्याओं, सम्भावनाओं और भविष्य के लिए जरूरी सुझावों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री देशराज कश्यप ने कहा कि आपस की टांग-खिंचाई में हमारे समाज को राजनीतिक भागीदारी आज तक नहीं मिल पाई। लेकिन, यह सही है कि कश्यप समाज की जागरूकता व एकता में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि जब तक हम एकजुट होकर अपने हक नहीं मांगेंगे, एक-दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे और मिलकर नहीं चलेंगे, तब तक समाज को उचित राजनीतिक भागीदारी नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग समाज में सबसे बड़ी बिरादरी होने के बावजूद आज तक उचित राजनीतिक भागीदारी न होने के पीछे हमारी आपसी मतभेद व मनभेद रहे हैं, जिसे दूर करने की सख्त जरूरत है।
जब तक समाज का एक नेता नहीं चुनेंगे, समाज आगे नहीं बढ़ेगा: सुल्तान कश्यप
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री सुल्तान कश्यप |
इस अवसर पर कश्यप एकता जाग्रति मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह कश्यप ने कहा कि बेहद विडम्बना का विषय है कि हमारा सबसे बड़ा समाज होने के बावजूद सबसे पिछड़ा समाज बनकर रह गया है। हम राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं शिक्षा आदि हर क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। हमें राजनीतिक स्तर पर भी कोई अहमियत नहीं है। हम सिर्फ पार्टियों के वोट बैंक बनकर रह गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमें एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। जब तक हम अपना नेता नहीं चुनेंगे और उसका साथ नहीं देंगे, तब तक हमें किसी भी तरह की राजनीतिक भागीदारी मिलनी मुश्किल है। श्री सुल्तान कश्यप ने कहा कि कश्यप एकता जाग्रति मंच लंबे समय से समाज की निःस्वार्थ निरन्तर सेवा कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
हवा के रूख के हिसाब से चलने में समाज की भलाई: सुरेन्द्र कश्यप माजरी
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री सुरेन्द्र कश्यप माजरी |
चिंतन बैठक को जिला परिषद सदस्य श्री सुरेन्द्र कश्यप माजरी ने कहा कि हमें हवा के रूख के साथ चलने की आवश्यकता है। जो पार्टी सत्ता में है, और हमारे समाज का जो नेता या कार्यकर्ता उस पार्टी से जुड़ा है, यदि उसे आगे बढ़ाया जाए तो समाज को बहुत लाभ होगा। हवा के बहाव के विपरीत खड़ा होने के कारण हमें आज तक कामयाबी नहीं हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ राजनीतिक भागीदारी व हिस्सेदारी से ही समाज का भला हो सकता है, वरना हम यूं ही पिछड़े रहेंगे।
समाज में सकारात्मक परिवर्तन शुरू: राजेश कश्यप
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री राजेश कश्यप ‘टिटौली’ |
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी राजेश कश्यप ने चिंतन बैठक को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन शुरू हो चुका है। समाज में जागरूकता और एकता में बढ़ौतरी हुई है। अब एक आवाज पर समाज के लोग एकजुट होने लगे हैं। हरसौला-काण्ड इसका ताजा उदाहरण है। अब हरियाणा का कश्यप समाज देश में अनुकरणीय भूमिका में आ रहा है और अन्य प्रदेशों के लोग भी हमारा अनुसरण करने लगे हैं। दूसरे प्रदेशों से समाज की एकता, उन्नति एवं सर्वांगीण विकास के लिए मिलकर आगे बढ़ने व हर स्तर पर एक-दूसरे का साथ देने जैसे प्रस्ताव भेजे हैं। राजेश कश्यप ने आगे कहा कि हमारा प्रमुख ध्येय कश्यप समाज के लिए एक जवाबदेह नेतृत्व तैयार करने और हाशिये पर बैठे अंतिम आदमी तक की सुध लेने वाले सामाजिक तंत्र को खड़ा करने का रहा है और इस तरफ तेजी से कदम आगे बढ़ रहे हैं। अन्याय व अत्याचार के खिलाफ खड़ा होने, युवाओं के कैरियर-निर्माण में सहयोग करने, धर्मशालाओं की राजनीति से बाहर निकलकर गरीब समाज की सुध लेने, सोशल मीडिया के माध्यम से सभा व संगठन की कार्यवाही को पारदर्शी बनाने, शैक्षणिक स्थिति को मजबूत बनाने, सामाजिक रूप से सुदृढ़ होने और राजनीतिक भागीदारी के लिए संघर्ष करने जैसे अनेक मुद्दों पर हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। राजेश कश्यप ने आगे कहा कि हमें पार्टी, सभा या संगठन को नजरअंदाज करके और निजी स्वार्थ व महत्वाकांक्षाओं को भुलाकर एक साथ आगे बढ़ना होगा और जब भी किसी कोने से समाज के किसी व्यक्ति पर अन्याय या अत्याचार का समाचार मिले, तो उस व्यक्ति या परिवार तक पहुंचना व समुचित सहयोग देने की परंपरा को अटूट बनाना होगा।
समाज को कुरीतियों व रूढ़ियों को छोड़ शिक्षा पर जोर देना होगा : समाजसेवीगण
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री रोहताश कश्यप |
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री गोपाल कश्यप |
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री बलबीर कश्यप |
चिंतन बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री ईशम सिंह कश्यप |
चिंतन बैठक का संचालन करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी एवं प्रिन्सीपल श्री बलबीर कश्यप ने कहा कि हमें अपने बच्चों की शिक्षा व रोजगार पर जोर देना होगा। चिंतन बैठक में गोध गाँव के सरपंच ईशम सिंह कश्यप के अलावा गोपाल कश्यप, रोहताश कश्यप आदि अनेक समाजसेवियों ने अपने विचार रखे और समाज को नशे से दूर रहने, बेटियों को पढ़ाने, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाने, दहेज न लेने व न देने जैसे अनेक विषयों पर गहराई से प्रकाश डाला।
सैंकड़ों समाजसेवी रहे उपस्थित
इस चिंतन बैठक में कैथल जिले के सैंकड़ों समाजसेवियों व चिन्तकों ने सक्रिय भागीदारी की, जिसमें मोहन लाल कश्यप, सत्यवान कश्यप, भरथ सिंह कश्यप, लाल सिंह कश्यप, गोपाल कश्यप, श्यामा कश्यप, मेहर सिंह कश्यप, कृष्ण कश्यप, राम कुमार कश्यप, बलराम कश्यप, धर्मपाल कश्यप, प्रीतम कश्यप, भलेराम कश्यप, ओम प्रकाश कश्यप, मांगेराम कश्यप, रोहताश कश्यप, राजबीर कश्यप, गुरूदेव कश्यप, भोलू कश्यप, ईशम कश्यप, रवि प्रकाश कश्यप, सतपाल कश्यप, बलबीर कश्यप, सोमदत्त कश्यप, अमरिक सिंह कश्यप, बुधराम कश्यप, दलकश्यप, सुभाष कश्यप, राम कुमार कश्यप, सतपाल कश्यप, दयानन्द कश्यप, अमर सिंह कश्यप, शिवपाल कश्यप, बलदेव कश्यप, रामफल कश्यप, शिशपाल कश्यप, पालेराम कश्यप, सुभाष कश्यप, पालाराम कश्यप आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।
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