मंगलवार, 24 मई 2011

बड़ी धूमधाम से मनाई गई महर्षि कश्यप जयन्ति


हरियाणा कश्यप राजपूत सभा रोहतक द्वारा महर्षि कश्यप जयन्ति बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर कश्यप  मोहल्ला में एक विशेष  समारोह भी आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता जिला प्रधान राजेश कश्यप ने की। श्री कश्यप ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कश्यप राजपूत समाज अपने हकों को हासिल करने के लिए अब आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और इसके लिए समाज पूरी तरह जागरूक एवं एकजूट हो चुका है। उन्होंने कहा कि कश्यप राजपूत समाज की प्रदेश में लगभग नौ लाख की आबादी है, इसके बावजूद उसे सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के तहत न तो राजनीतिक भागीदारी मिल पा रही है और न ही उसकी कोई सुध ली जा रही है। राजेश कश्यप ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि सरकार ने शीघ्रातिशीघ्र कश्यप राजपूत समाज की दीन-हीन दशा की सुध नहीं ली तो समाज अपने राजनीतिक विकल्प पर पुर्नविचार करने के लिए बाध्य हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से प्रत्येक वर्ष 24 मई को महर्षि कश्यप जयन्ति पर सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग भी की।

समारोह के संयोजक रोहतक ब्लॉक के प्रधान महेन्द्र सिंह, समाजसेवी मुकेश कश्यप एवं पूर्व प्रधान सुरेश कश्यप थे। समारोह में भारतीय अम्बेडकर संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. गजानंद वर्मा, राष्ट्रीय क्रान्तिकारी सन्त महाराज बलबीर दास, हरियाणा अम्बेडकर संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष मनजीत सिंह दहिया और हरियाणवी फिल्मों के अभिनेता एवं निर्माता-निर्देशक  कुलदीप रोहिल्ला बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। समारोह के सभी वक्ताओं ने कश्यप समाज की एकजूटता के लिए बधाई दी और सरकार से आग्रह किया कि इस गरीब समाज को राजनीतिक भागीदारी दे। विशिष्ट अतिथियों ने अपने संबोधन में कश्यप राजपूत समाज को उसके संघर्ष में तन-मन-धन से हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया।

समारोह के प्रारंभ में महर्षि कश्यप जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और दीप प्रज्जवलन किया गया। समारोह के अंत में विशिष्ट अतिथियों एवं विशिष्ट समाजसेवियों को स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सभी पदाधिकारियों के अलावा रोहताश, राजेश, सुरेश, गोविन्द, जगदीश, परमानंद, जयनारायण, सूरजभान, महेन्द्र सिंह, नफे सिंह, मुकेश, जयभगवान, सत्यवान, प्रदीप, अन्नू, मनोज, महेन्द्र, प्रवीण, अजय, विनोद, पवन, हरदेव सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। इस अवसर पर सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप के नाम पर भण्डारे का आयोजन भी किया गया एवं प्रसाद वितरित किया गया।


कैमरे की नजर से.....














समाचार पत्रों की नजर से.....












 

सोमवार, 23 मई 2011

सृष्टि के महासृजक : महर्षि कश्यप / राजेश कश्यप

24 मई, 2011 जयन्ति विशेष



महर्षि कश्यप जी

हमारे देश की पावन भूमि अनेक ऋषि-मुनियों, साधु-सन्तों और भक्तों की जन्म एवं कर्मभूमि रही है। इस पावन धरा पर भगवान विष्णु भी कई बार स्वयं अपना अवतार ले चुके हैं। इसी पावन धरती पर सप्तऋषि महर्षि कश्यप जी सृष्टि के रचियता भगवान ब्रहा्रा जी के आदेशानुसार सृष्टि की सृजना करने के लिए अवतरित हुए। मुनिराज महर्षि क’यप ब्रहा्रा जी के मानस-पुत्र और मरीची ऋषि के महातेजस्वी पुत्र थे। इन्हें ‘अरिष्टनेमी’ के नाम से भी जाना जाता था। महर्षि कश्यप की माता का नाम कला था, जोकि कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी। मुनिराज कश्यप पिंघले हुए सोने जैसे महातेजस्वी थे। उनकी जटाएं अग्नि-ज्वालाएं जैसी थीं। महर्षि क’यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म  परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे।

पौराणिक सन्दर्भों के अनुसार सृष्टि की रचना करने के लिए ब्रहा्राण्ड में सर्वप्रथम भगवान ब्रहा्रा जी प्रकट हुए। ब्रहा्रा जी के दाएं अंगूठे से दक्ष प्रजापति हुए। ब्रहा्रा जी के अनुनय-विनय पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्रि के गर्भ से ६० कन्याएं पैदा कीं। इन कन्याओं में से १३ कन्याएं महर्षि कश्यप की पत्नियां बनीं। मुख्यत: इन्ही कन्याओं से सृष्टि का सृजन हुआ और महर्षि कश्यप सृष्टि के सृजक बने। महर्षि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने गए हैं। सप्तऋषियों की पुष्टि श्री विष्णु पुराण में इस प्रकार होती है :-

वसिष्ठ: का’यपो∙यात्रिर्जमदग्निस्सगौतम:।

वि’वामित्रभरद्वाजौ सप्त सप्तर्षयो∙भवन्।।

(अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं - वसिष्ठ, क’यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र  और भारद्वाज।)

श्रीमद्भागवत के छठे अध्याय के अनुसार दक्ष प्रजापति ने अपनी साठ कन्याओं मंे से दस कन्याओं का विवाह धर्म के साथ, तेरह कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप के साथ, सत्ताईस कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ, दो कन्याओं का विवाह भूत के साथ, दो कन्याओं का विवाह अंगीरा के साथ, दो कन्याओं का विवाह कश्यप के साथ और शेष चार कन्याओं का विवाह भी ताक्ष्र्यधारी कश्यप के साथ ही कर दिया। इस प्रकार महर्षि क’यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनि आदि पत्नियां बनीं।

महर्षि कश्यपने अपनी पत्नी अदिति के गर्भ से बारह आदित्य पैदा किए, जिनमें सर्वव्यापक देवाधिदेव नारायण का वामन अवतार भी शामिल था। श्री विष्णु पुराण के अनुसार :

मन्वन्तरे∙त्र सम्प्राप्ते तथा वैवस्वतेद्विज।

वामन: क’यपाद्विष्णुरदित्यां सम्बभुव ह।।

त्रिमि क्रमैरिमाँल्लोकान्जित्वा येन महात्मना।

पुन्दराय त्रैलोक्यं दत्रं निहत्कण्टकम्।।

(अर्थात्-वैवस्वत मन्वन्तर के प्राप्त होने पर भगवान् विष्णु कश्यप जी द्वारा अदिति के गर्भ से वामन रूप में प्रकट हुए। उन महात्मा वामन जी ने अपनी तीन डगों से सम्पूर्ण लोकों को जीतकर यह निष्कण्टक त्रिलोकी इन्द्र को दे दी थी।)

पौराणिक सन्दर्भो के अनुसार चाक्षुष मन्वन्तर में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से जन्म लिया, जोकि इस प्रकार थे -विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरूण, मित्र, इन्द्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)। महर्षि क’यप के पुत्र विवस्वान् से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्’ाु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई।

महर्षि क’यप ने दिति के गर्भ से परम् दुर्जय हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री पैदा की। श्रीमद्भागवत् के अनुसार इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से क’यप के ४९ अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जोकि मरून्दण कहलाए। कश्यप के ये पुत्र नि:संतान रहे। देवराज इन्द्र ने इन्हें अपने समान ही देवता बना लिया। जबकि हिरण्याकश्यप को चार पुत्रों अनुहल्लाद, हल्लाद, परम भक्त प्रहल्लाद, संहल्लाद आदि की प्राप्ति हुई।

महर्षि कश्यप को उनकी पत्नी दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अरूण, अनुतापन, धुम्रके’ा, विरूपाक्ष, दुर्जय, अयोमुख, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम और विप्रचिति आदि ६१ महान् पुत्रों की प्राप्ति हुई। रानी काष्ठा से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए। पत्नी अरिष्टा से गन्धर्व पैदा हुए। सुरसा नामक रानी की कोख से यातुधान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से वृक्ष, लता आदि पृथ्वी में उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का जन्म हुआ। मुनि के गर्भ से अप्सराएं जन्मीं। कश्यप की क्रोधवशा  नामक रानी ने साँप, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए। ताम्रा ने बाज, गीद्ध आदि शिकारी पक्षियों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सुरभि ने भैंस, गाय तथा दो खुर वाले पशुओं की उत्पति की। रानी सरसा ने बाघ आदि हिंसक जीवों को पैदा किया। तिमि ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।

महर्षि कश्यप ने रानी विनता के गर्भ से गरूड़ (भगवान विष्णु का वाहन) और वरूण (सूर्य का सारथि) पैदा किए। कद्रू की कोख से अनेक नागों का जन्म हुआ। रानी पतंगी से पक्षियों का जन्म हुआ। यामिनी के गर्भ से शलभों (पतिंगों) का जन्म हुआ। ब्रहा्रा जी की आज्ञा से प्रजापति क’यप ने वै’वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणवीर दानवों का जन्म हुआ जोकि कालान्तर में निवातकवच के नाम से विख्यात हुए।

मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदे’ा देते थे। उन्होने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि क’यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भिक एवं निर्लोभी थे। क’यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश  करते थे, जिनके कारण उन्हें श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का अक्षरश: पालन करते थे। उन्ही की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका।

महर्षि कश्यप अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप एवं तप के बल पर श्रेष्ठतम महानुभूतियों में गिने जाते थे। महर्षि कश्यप ने समाज को एक नई दिशा देने के लिए ‘स्मृति-ग्रन्थ’ जैसे महान् ग्रन्थ की रचना की। इसके अलावा महर्षि कश्यप ने ‘कश्यप-संहिता’ की रचना करके तीनों लोकों में अमरता हासिल की। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार ‘कस्पियन सागर’ एवं भारत के शीर्ष प्रदेश कश्मीर का नामकरण भी महर्षि कश्यप जी के नाम पर ही हुआ। महर्षि कश्यप द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है, जिसके कारण उन्हें ‘सृष्टि के महासृजक’ उपाधि से विभूषित किया जाता है। ऐसे महातेजस्वी, महाप्रतापी, महाविभूति, महायोगी, सप्तऋषियों में महाश्रेष्ठ व सृष्टि सृजक महर्षि क’यप जी को कोटि-कोटि प्रणाम। (महर्षि कश्यप जी का फोटो संलग्न है।)

(लेखक हरियाणा कश्यप राजपूत सभा की ‘साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सैल के ‘अध्यक्ष’ हैं।’ इसके  साथ ही  हरियाणा कश्यप राजपूत सभा रोहतक के प्रधान एवं सभा के प्रदेश मीडिया प्रभारी भी हैं. ).




सांझी’ के प्रभारी श्री राजेश चुघ एवं जागरण परिवार की समस्त टीम का हृदय से आभार

हरियाणा कश्यप राजपूत समाज, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप द्वारा १८५७ की क्रांति में लिबासपुर (सोनीपत) एवं क्रांतिकारी शहीद उदमी राम एवं उनके शहीद साथियों की शहादत को नमन स्वरूप लिखे गए विशेष लेख को दैनिक जागरण की प्रतिष्ठित मैग्जिन ‘सांझी’ में दिनांक २३ मई, २०११ को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके लिए हम ‘सांझी’ के प्रभारी श्री राजेश चुघ एवं जागरण परिवार की समस्त टीम का कश्यप राजपूत समाज हृदय से आभार प्रकट करता है।

संबंधित प्रकाशित लेख निम्नलिखित है :-



पंजाब केसरी के संपादक एवं उनकीं टीम का हृदय से आभार

हरियाणा कश्यप राजपूत, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप द्वारा २४ मई को महर्षि कश्यप जयन्ति के सन्दर्भ में लिखित विशेष लेख को पंजाब केसरी, जालन्धर ने "सप्तऋषियों में प्रमुख महर्षि कश्यप" शीर्षक के तहत प्रकाशित किया। कश्यप राजपूत समाज तहेदिल से पंजाब केसरी के संपादक एवं उनकीं टीम का हृदय से आभार प्रकट करती है।

संबंधित प्रकाशित लेख निम्नलिखित है :-


रविवार, 22 मई 2011

भ्रामक भविष्यवाणी पर कश्यप राजपूत समाज की रही कड़ी प्रतिक्रिया

21 मई, 2011 को दुनिया खत्म हो जाने की भविष्यवाणी के प्रति कश्यप राजपूत समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। हरियाणा कश्यप राजपूत समाज, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने दैनिक जागरण द्वारा राय जानने पर एकदम कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि, "इस तरह की भविष्यवाणी भ्रामक व निराधार है। ये सिर्फ धार्मिक पाखण्ड के अलावा और कुछ नहीं है। आज २१वीं सदी में आकर इस तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए मीडिया का इस तरह की खबरों का अधिक प्रचार ठीक नहीं है।"

दैनिक जागरण में प्रकाशित राय की संबंधित छायाप्रति निम्नलिखित है :

गुरुवार, 19 मई 2011

महर्षि कश्यप जयन्ति समारोह के लिए सादर आमंत्रण




आदरणीय भाईयों, बहनों और माताओं!

सादर नमस्कार।

सर्वप्रथम आपको ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ (24 मई) की हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनाएं।

आपको यह जानकार अति हर्ष होगा कि इस वर्ष  24 मई को हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक द्वारा जिला स्तरीय ‘महर्षि कश्यप जयन्ति समारोह’ जिला रोहतक में पुरानी सब्जी मण्डी के पास कश्यप मौहल्ला में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर आप सभी सादर आमंत्रित हैं। कृपा करके आप प्रात: 10:00 बजे तक समारोह स्थल पर पहुंचने का कष्ट करें।

एक बार फिर आपको ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनाएं।

-राजेश कश्यप


मोबाईल नं. 09416629889

प्रधान

रविवार, 8 मई 2011

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा द्वारा ‘कन्या-जननी मातृ सम्मान समारोह’ आयोजित

'मदर्स डे' विशेष
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा द्वारा
‘कन्या-जननी मातृ सम्मान समारोह’ आयोजित

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान  श्री  राजेश  कश्यप अपना अध्यक्षीय भाषण देते हुए 


हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप कन्याओं को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए    

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक द्वारा ‘कन्या-जननी मातृ सम्मान समारोह’ आयोजित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष सभा के प्रधान एवं युवा समाजसेवी राजेश कश्यप थे। श्री कश्यप ने समारोह में कश्यप समाज की उन माताओं को सम्मानित किया, जिन्होंने हाल ही में कन्याओं को जन्म दिया है। समारोह में श्रीमती उषा देवी, श्रीमती सीमा देवी, श्रीमती रीना देवी, श्रीमती सीमा रानी आदि को ‘कन्या-जननी मात् सम्मान’ से नवाजा गया और नवजात कन्याओं को आशीर्वा दिया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में राजेश कश्यप ने कन्याओं की निरन्तर होती कमी की समस्या पर विस्तार से प्रकाश डाला और गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कन्याएं इसी तरह कम होती रहीं तो हमारे आने वाले कल पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। श्री कश्यप ने समाज से आह्वान करते हुए कहा कि वे कन्या-भू्रण हत्या जैसे जघन्य अपराध को रोकने में अपना सक्रिय योगदान दें और कन्याओं का पूरा सम्मान करें। श्री कश्यप ने आगे कहा कि प्रदेश स्तर पर कन्याओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक जागरूकता के लिए अभियान चलाया जाएगा।

समारोह में कश्यप राजपूत सभा के पदाधिकारियों ने अपनी माताओं को भी सम्मानित किया और उनका आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर श्रीमती शरतल, श्रीमती कैलाशो देवी, महेन्द्र सिंह कश्यप, करतार सिंह कश्यप, वेदप्रकाश कश्यप, सत्यवान कश्यप, सतपाल कश्यप, मनोज कश्यप, सत्य कश्यप, सतदेव कश्यप, मनोज कश्यप, पवन कश्यप, अन्नू कश्यप आदि समाजसेवी उपस्थित थे।
 हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप कन्याओं को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए

 हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप कन्याओं को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए
 हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप कन्याओं को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए
 हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप  व अन्य अपनी-अपनी माताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए

 हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप कन्याओं को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए


समाचार पत्रों के आईने में ..........


.


गुरुवार, 5 मई 2011

अति आवश्यक सूचना / राजेश कश्यप


आदरणीय कश्यप बन्धुओं,

जय महर्षि कश्यप जी की.

इस वर्ष भी हम आगामी 24 मई को महर्षि कश्यप जयन्ति बड़ी धूमधाम से मनाने जा रहे हैं। आपको सादर सूचित किया जाता है कि इस वर्ष हम प्रदेश स्तर पर महर्षि कश्यप जयन्ति मनाने की इच्छा रखते हैं। प्रदेश स्तर पर महर्षि कश्यप जयन्ति मनाने हेतू विचार मन्थन करने के लिए हरियाणा कश्यप राजपूत सभा द्वारा आगामी रविवार, दिनांक 8 मई, 2011 को प्रात: 10 बजे कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र में प्रदेश स्तरीय एवं जिला स्तरीय पदाधिकारियों की एक विशेष बैठक बुलाई गई है। आपसे नम्र निवेदन है कि आप समय निकालें और इस बैठक में जरूर हिस्सा लें और महर्षि कश्यप जयन्ति को प्रदेश स्तर पर मनाने बारे अपने विचारों एवं सुझावों से अवगत करवाएं। बैठक में आपका इन्तजार रहेगा। कृपा करके सही समय पर पहुंचने का कष्ट करें।