जानिए! आग में स्वाहा होने वाले कश्यप परिवार के चार बच्चों की दर्दनाक दास्तां
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गैस-सिलैण्डर लीकेज हादसे के शिकार गरीब कश्यप परिवार के दर्द में हर कोई रो रहा जार-जार....!!! जल्द सुध ले समाज और समुचित मदद दे सरकार!!!
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गत 22 जून, 2017 (वीरवार) का दिन गाँव दयालपुर (कुरूक्षेत्र) हरियाणा के निवासी श्री जसबीर कश्यप सुपुत्र श्री रूपचन्द के परिवार के लिए तबाही का ऐसा मंजर लेकर आया कि आजीवन उसके घाव नहीं भर पाएंगे। रसोईघर में हुए गैस-सिलेण्डर के लीकेज ने जसबीर कश्यप के चारों होनहार व मासूम बच्चों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया। अपने जिगर के टूकड़ों को बचाते-बचाते श्रीमती रेशा देवी भी मौत की कगार पर पहुंच गई। इस मौत के मंजर की पराकाष्ठा और माता-पिता का असीम दुर्भाग्य देखिए.... अकाल मौत का शिकार हुए चार बच्चों के अंतिम दर्शन भी उनकीं माँ रेशा देवी और पिता जसबीर कश्यप नहीं कर सके। क्योंकि पिता कुवैत में 14 माह से नौकरी के लिए गया हुआ था और माँ चण्डीगढ़ पीजीआई में मौत से संघर्ष कर रहीं थीं। माता-पिता के अंतिम दुलार से वंचित चारों अभाग्य बच्चों का सामूहिक दाहसंस्कार ग्रामीणों ने किया। अपने इन अभाग्य बच्चों को यूं विदा करके गाँव का जर्रा-जर्रा रो पड़ा और करूणा व शोक लहर में हर कोई बह गया।
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नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके देखिए आग में स्वाहा होने वाले दयालपुर (कुरूक्षेत्र) के श्री जसबीर कश्यप के चारों मासूम बच्चों की फाईल फोटो और घटनास्थल की खौफनाक काली तस्वीर
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यूं हुआ यह दर्दनाक हादसा
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गाँव दयालपुर (कुरूक्षेत्र) हरियाणा के निवासी श्री जसबीर कश्यप सुपुत्र श्री रूपचन्द अपने परिवार के साथ खुशहाल जिन्दगी व्यतीत कर रहा था। मैट्रिक पास जसबीर कारपैन्टर का काम सीखकर कुवैत में नौकरी करने के लिए चला गया। अभी मुश्किल से 14 माह ही हुए थे कि पीछे से उसके सपनों की दुनिया ही उजड़ गई।
दरअसल, गत 22 जून, 2017 (वीरवार) के सुबह चार बजे तक श्रीमती रेशा देवी अपने चार बच्चों सुमन, रीना, गौरव और रजनी के साथ घर के आंगन में सो रही थीं। अचानक मौसम खराब हुआ और बुंदाबांदी होने लगी। श्रीमती रेशा देवी ने बच्चों को उठाकर अन्दर कमरे में बैड पर एक साथ सुला दिया। इसके बाद नित्य दिनचर्या का काम करना शुरू कर दिया। लगभग 5ः30 बजे उसने अपने लाडले बच्चों के लिए गैल-चूल्हे पर चाय बनने के लिए रख दी। इस बीच वह अन्य किसी काम में लग गई। थोड़ी देर बाद जब चाय उबलने को हुई तो श्रीमती रेशा देवी उसे संभालने जैसे ही रसोईघर में पहुंची तो उसने देखा कि गैस-सिलेण्डर लीकेज के कारण पूरे रसाईघर में आग फैलती जा रही है। उसने आनन-फानन में आग पर पानी डाला तो वह कम नहीं हुई। इसके बाद उसने जलते हुए सिलैण्डर को खुले आंगन में धकेल दिया, ताकि घर में और ज्यादा गैस न भरे। लेकिन, दुर्भाग्य से वह सिलैण्डर रसोईघर के साथ लगते कमरे में सो रहे बच्चों की तरफ लुढ़क गया और सिलैण्डर से निकले भयंकर आग के गोले ने नींद के आगोश में सोए हुए चारों मासूम बच्चों को अपने अन्दर समा लिया। श्रीमती रेशा देवी अपने कलेजे के टुकड़ों को बचाने के लिए आग में कूद पड़ी और पड़ौसियों से बचाने के लिए जोर-जोर से चिल्लाई। शोर सुनकर पड़ौसी दौड़े आए। पड़ौसियों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। किसी ने फायर बिग्रेड को फोन किया तो किसी ने एम्बुलैंस को। किसी ने पुलिस को फोन किया तो किसी ने डॉक्टर को। दुर्भाग्य देखिए, फायर ब्रिगेड तो समय पर पहुंच गई, लेकिन एम्बुलैंस समय पर नहीं पहुंची। ग्रामीण बच्चों को ऑटो में लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे। लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी और एक के बाद एक सभी मासूम बच्चे इस दुनिया को अलविदा कहते चले गए। आक्रोशित ग्रामीणों के अनुसार, यदि एम्बुलैंस समय पर पहुंच जाती तो सभी बच्चों को बचाया जा सकता था। अस्पताल के डॉक्टर्स ने बच्चों को बचाते हुए बुरी तरह झुलस चुकीं श्रीमती रेशा देवी की नाजुक हालत को देखते हुए चण्डीगढ़ रेफर कर दिया।
अपने माता-पिता का अंतिम दुलार भी नहीं पा सके अभाग्य बच्चे!
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इस हादसे के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह विदेशी दुतावास के नंबर लेकर कुवैत में सम्पर्क साधा और कई बार 14 माह पहले कारपैंटर की नौकरी करने गए जसबीर कश्यप से बात करने की कोशिश की। लेकिन, कामयाबी हाथ नहीं लगी। इस बीच विदेशमंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज के ट्वीटर पर भी इस सन्दर्भ में मदद मांगी गई, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। फिर काफी कोशिशों के बाद जसबीर से बात संभव हो पाई और उसे बताया गया कि उसकी पत्नी सख्त बीमार है, जल्द से जल्द स्वदेश लौट आए। दुर्भाग्य से उस दिन कुवैत में सरकारी अवकाश होने के कारण ऑफिस बन्द था और जसबीर को कागज नहीं मिल पाए। इस वजह से वह तीन दिन बाद स्वदेश लौट सका। दूसरी तरफ, उनकीं पत्नी श्रीमती रेशा देवी चण्डीगढ़ पीजीआई में जीवन की जंग लड़ रहीं थीं। इसी बीच, ग्रामीणों ने सभी बच्चों का सामूहिक दाहसंस्कार किया और उनके चाचा श्री मुकेश कश्यप ने बच्चों को मुखाग्नि दी।
कई दिन से गाँव में पसरा है मातम
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पिछले कई दिन से इस गरीब कश्यप परिवार के साथ हुए दर्दनाक हादसे से पूरे गाँव में मातम पसरा हुआ है। दो दिन तक तो चूल्हे तक नहीं जले। हर तरफ करूण-क्रन्दन है। किसी को कोई शब्द ही नहीं सुझ रहे कि आखिर किन शब्दों से पीड़ित परिवार को सांत्वना दी जाए।
पीड़ित परिवार के साथ दुःख सांझा करने वालों की लगी है लंबी कतार
सरकार के स्थानीय मंत्रियों से लेकर विपक्ष के नेताओं तक और सरकारी अधिकारियों से लेकर समाज के नेताओं तक पीड़ित परिवार के साथ दुःख सांझा करने के लिए लंबी कतार लगी है। सभी शोक-संवेदना जाहिर करने आ रहे हैं। रविवार सुबह कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक तंवर पीड़ित परिजनों से मिलने दयालपुर पहुंचे।
पीड़ित गरीब कश्यप परिवार को है समुचित मदद की दरकार
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गैस-सिलैण्डर लीकेज हादसे से तबाह हुए परिवार को अभी भी समुचित मदद की दरकार है। हालांकि, सरकार की तरफ से पीड़ित परिवार को पाँच लाख रूपये की आर्थिक मदद देने, घर की मुरम्मत करवाने और श्रीमती रेशा देवी के ईलाज का खर्च सरकार द्वारा उठाने की घोषणा राज्य सरकार की तरफ से शोक-संवेदना व्यक्त करने आए हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्ण कुमार बेदी द्वारा की जा चुकी है। इसके साथ ही कुछ समाजसेवियों ने भी अपनी यथाशक्ति आर्थिक मदद देने की भी कोशिश की है।
पीड़ित परिवार के लिए यह हैं ग्रामीणों की प्रमुख माँगें
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दयालपुर गाँव के लोगों ने पीड़ित गरीब कश्यप परिवार के लिए हरियाणा सरकार से निम्नलिखित माँगें की हैं:
1. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी पीड़ित परिवार को सांत्वना देने खुद पीड़ित के घर आएं.
1. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी पीड़ित परिवार को सांत्वना देने खुद पीड़ित के घर आएं.
2 . पीड़ित दम्पति को उनकीं योग्यता के अनुसार नौकरी दे।
3 . पीड़ित को दी गई आर्थिक मदद 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की जाये।
4 . गाँव में स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाए और उसका नामकरण हादसे का शिकार हुए चारों बच्चों के नाम पर हो, ताकि ऐसे किसी हादसे का दोहराव न होने पाए। हो सके तो इसी स्वास्थ्य केन्द्र में दम्पति को नौकरी दी जाए।
5 . एम्बुलैंस समय पर न पहुंचने के मामले में दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाए।
मोबाईल/वाअ्सअप्प नंबर: 9416629889)
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