सोमवार, 18 अप्रैल 2011

‘पिछड़ा वर्ग एकता मंच, हरियाणा’ की प्रथम कार्यकर्ता बैठक धूमधाम से संपन्न


मंच पर विराजमान वरिष्ठ नेता

गत १७ अप्रैल, २०११ को सैनी एकता मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री अनील सैनी की अध्यक्षता में ‘पिछड़ा वर्ग एकता मंच, हरियाणा’ की प्रथम कार्यकर्ता बैठक हुई। यह बैठक मंच की कार्यकारिणी के चुनाव के लिए बुलाई गई थी। लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते कार्यकारिणी के चुनाव का कार्यक्रम आगामी बैठक तक सर्वसम्मति से टाल दिया गया। इस बैठक में पिछड़ा वर्ग की सभी बिरादरियों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भाग लिया। इस बैठक में कश्यप समाज की तरफ से हरियाणा कश्यप समाज के सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष श्री सुन्दर कश्यप, जिला रोहतक प्रधान श्री राजेश कश्यप सहित अन्य पदाधिकारियों व समाज के वरिष्ठ लोगों ने भी भाग लिया। बैठक को संबोधित करते हुए हरियाणा कश्यप समाज के सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया ने पिछड़ा वर्ग के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि वे पदों का लालच त्यागकर समाज को एकसूत्र में पिरोने के लिए संकल्पबद्ध हों। सैनी एकता मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री अनील सैनी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि निकट भविष्य में प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें भारी संख्या में लोग भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी के साथ-साथ जिला स्तरीय कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव किया जाएगा, जिसमें उत्कृष्ठ एवं Åर्जावान समाजसेवी लोगों को मौका दिया जाएगा। हरियाणा कश्यप राजपूतस सभा रोहतक के प्रधान श्री राजेश कश्यप ने कार्यकर्ताओं का विश्वास दिलाया कि पिछड़ा वर्ग के हकों की लड़ाई में उनका समाज किसी से पीछे नहीं रहेगा और कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया जाएगा। पिछड़ा वर्ग एकता मंच, हरियाणा की आगामी बैठक की सूचना भी इस ब्लॉग्स पर प्रकाशित की जाएगी।

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

सादर आमंत्रण : कार्यक्रम : हरियाणा पिछड़ा वर्ग एकता मंच की कार्यकारिणी का चुनाव।



पिछड़ा वर्ग के सभी प्यारे भाईयो और बहनों,

आपको सादर सूचित किया जाता है कि पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए प्रदेश स्तरीय ‘हरियाणा पिछड़ा वर्ग एकता मंच’ की गत 27 मार्च, 2011 को जीन्द में हो चुकी है। इस मंच की कार्यकारिणी के सदस्यों के चुनाव के लिए आगामी 17 अप्रैल, 2011, रविवार को कार्यक्रम तय किया गया है। इसलिए आप सभी से सादर अनुरोध है कि कृपा करके समय निकालें और इस कार्यकारिणी के लिए योग्य सदस्यों का चुनाव करने में अपनी अमूल्य भूमिका निभाएं। प्रस्तावित कार्यक्रम इस प्रकार है :-

कार्यक्रम : हरियाणा पिछड़ा वर्ग एकता मंच की कार्यकारिणी का चुनाव।

दिनांक : 17 मार्च, 2011, रविवार।

स्थान : सैनी धर्मशाला, निकट गौड़ ब्राहमण डिग्री कॉलेज, रोहतक।

समय : प्रात 10:00 बजे।

आप सब उपर्युक्त कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।



(प्रिय पाठक ! कृपया करके अपनी प्रतिक्रिया/सुझाव जरूर दें। आपकी बड़ी कृपा होगी। आदर सहित - राजेश कश्यप)

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

ब्लॉग अनुसरण करने वाले मित्रों का हार्दिक स्वागत एवं तहेदिल से धन्यवाद / राजेश कश्यप

मेरे  सभी आदरणीय ब्लॉग  अनुसरणकर्ता मित्रों !
मैं आपका तहेदिल से अत्यन्त आभार व्यक्त करता हूँ कि आपने अपना कीमती समय दिया और ब्लॉग का अनुसरण किया। आप समय निकालकर अपनी प्रतिक्रिया एवं सुझाव भी देते हैं, इसके लिए आपको सादर नमन। मेरे एक अनुसरणकर्ता मित्र श्री हरजीत कश्यप का मैं विशेष धन्यवाद व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने सबसे अधिक अपनी अत्यन्त ज्ञानवद्र्धक टिप्पणियां, अनमोल सुझाव और अनूठी जानकारियां ब्लॉग्स पर अंकित की हैं।

१० अप्रैल, २०११ तक मेरे ब्लॉग अनुसरणकर्ता मित्र हैं :



आपका एक बार फिर ब्लॉग अनुसरण करने और अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने के लिए अत्यन्त धन्यवाद और आभार प्रकट करता हूँ। इसके साथ ही मैं आपसे नम्र निवेदन करना चाहता हूँ कि कृपया अपना पूरा पता भी ब्लॉग्स पर अंकित करने का कष्ट करें, ताकि भविष्य में समाज द्वारा आयोजित किए जाने वाले किसी शानदार समारोह में आपको विशेष तौरपर मान-सम्मान के लिए सादर आमंत्रित करने में सुविधा हो सके। एक फिर आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

मुझे बड़ा गर्व एवं खुशी है कि आपके इस ब्लॉग को १० अपै्रल, २०११ की दोपहर तक भारत के १०२६ लोगों सहित दुनिया के अन्य देशों संयुक्त राज्य अमेरिका के २९, कनाडा के ७, ब्रिटेन के ५, रूस के ४, जापान के ३, संयुक्त अमीरात के २, जर्मनी के २, हंगरी के २ और कतर के दो लोगों ने भी पढ़ा है। मैं अपने देश एवं विदेश के सभी मित्रों का बहुत-बहुत धन्यवादी हूँ। शुक्रिया मेहरबानी।

जय हो...लोकतंत्र जीता और भ्रष्टतंत्र हारा / राजेश कश्यप


जय हो...
लोकतंत्र जीता और भ्रष्टतंत्र हारा

-राजेश कश्यप

लोकतंत्र...तेरी जय हो। चार साल में वो कर दिखाया जो पिछले चालीस साल में नहीं हो पाया। सचमुच इसी को वास्तव में लोकतंत्र कहते हैं। जिस लोकपाल बिल की अनुशंसा प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग ने सन् १९६६ में की थी और जिसको १९६९ की चौथी लोकसभा में पारित करवाकर, भ्रष्टाचारी व नक्कारा सरकारों द्वारा इसे राज्यसभा में पास करवाने का १९७१, १९७५, १९७७, १९८५, १९८९, १९९६, १९९८, २००१, २००४, २००८ में ऐसा सुनियोजित ड्रामा रचा गया कि आम जन-मानस इसके पटाक्षेप की बाट जोहन के सिवाय कुछ न कर सका। उसी लोकपाल बिल को लोकतंत्र ने देखते ही देखते गिने-चुने चार दिन में अपनी शर्तों पर मनवाने व लागू करवाने के लिए सरकार को घूटनों के बल चलने के लिए विवश कर दिया। हकीकत में यह लोकतंत्र की जीत है। जब लोकतंत्र अपनी लय में भ्रष्टाचारियों को ललकारता है तो भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों की चूलें हिलाकर रख देता है।

हाल ही में टूयूनिशिया, मिश्र और लीबिया में क्या हुआ? चार दशक से अधिक तानाशाहों, भ्रष्टाचारियों और अय्याशों के तख्तोताज+ मिट्टी में मिलाकर रख दिए। वहां भी भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी व बेकारी ने लोगों को अपनी लोकतांत्रिक शक्ति दिखाने के लिए मजबूर कर दिया था। उसी तर्ज पर भारत में भी जन-क्रांति की सुगबुगाहट तेज हो चली थी। क्योंकि यहां भी भ्रष्टाचार से देश खोखला हो चुका था और आम जन-मानस मंहगाई, बेरोजगारी, बेकारी व भूखमरी से बौखला चुका था। ऐसे में दिल्ली के जंतर-मंतर से अण्णा हजारे की एक आवाज आने की देर भर थी कि देश के कोने-कोने से उफन पड़ा जन-समर्थन का सैलाब। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, किसान, मजदूर, महिला, पुरूष, हर वर्ग व हर मजहब के लोग भ्रष्टाचार पर नकेल डालने के लिए सड़कों पर उतर आया। सरकार की रातों की नींद और दिन का चैन एकाएक यूं गायब हो गया, जैसे गधे के सिर से सींग।

लोगों के आक्रोश, देशभक्ति के ज्वार और स्वतंत्रता संग्राम के दूसरे युद्ध के ऐलान ने पूरे विश्व को चौंकाकर रख दिया। भ्रष्टाचारियों के छक्के छूट गए। रातोंरात नेताओं को दिन में नानी याद आ गई और शरद पवार तक को लोकपाल बिल समिति से इस्तीफा देकर अपनी जान छुड़ाने में अपनी भलाई नजर आई। यही तो लोकतंत्र होता है। जब तक लोकतंत्र खामोश रहता है, तब तक भ्रष्टतंत्र स्वयं को अजेय समझने के भ्रम में दु:साहसी बनाता चला जाता है और जब लोकतंत्र अपनी अपनी आवाज बुलन्द करता है तो भ्रष्टतंत्र की हेकड़ी ढ़ीली हो जाती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पिछले छह दशक से देश के लोग जीप घोटाले से लेकर २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले तक खून का घूंट पीते रहे, लेकिन घोटालेबाज, भ्रष्टाचारी और आपराधिक प्रवृति के नेता लोग जनता की खामोशी का नाजायज फायदा उठाते रहे और घोटाले पर घोटाले करते रहे।

एक अनुमान के मुताबिक एक तरफ ४०० लाख करोड़ रूपये से अधिक विदेशी बैंकों में काले धन के रूप में जा पहुंचे और चारा घोटाला, बोफोर्स घोटाला, राष्ट्रण्डल खेल घोटाला, तहलका काण्ड, स्टाम्प पेपर घोटाला, सत्यम घोटाला, टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला, सत्यम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला....न जाने कितने घोटालों की बाढ़ दिनोंदिन बढ़ती चली गई। पैसे के बल पर चुनाव जीतने और पैसे के बल पर सरकार बचाने का दस्तूर बना दिया गया। अपराधी और भ्रष्ट लोग लोकतंत्र के मंदिर संसद में पहुंच कर सरेआम गुंडई करने पर उतारू हो गए। संसद में भी पैसे लेकर प्रश्न रखे जाने लगे। नैतिक, हया और जमीर नाम की कोई चीज ही नहीं बची। मंहगाई और भष्टाचार ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी। काला बाजारी ने लोगों के निवाले पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया। अमीर और गरीब की खाई को रातोंरात दु्रतगति से बढ़ा दिया। यह भ्रष्टाचारी सरकारों की अति थी। यह सृष्टि का नियम है कि हर अति का भी अंत होता है। अंतत: वही हुआ। भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा को भी पार कर गया।

भ्रष्टखोर नेताओं ने देश को जितना लूटा, उतना तो २५० वर्षों में गौरे अंग्रेजों ने भी नहीं लूटा था। इसी लिए आम जन-मानस की नजरों में सत्ताधारी लोग ‘काले अंग्रेज’ बन गए हैं और इसीलिए संसद पर हुए आतंकवादी हमले के नाकाम होने के बाद बहुत से लोगों की यह दबी हुई आत्मिक आवाज थी कि काश आतंकवादी अपने मसंूबे में सफल हो जाते और इन बेईमान भ्रष्टाचारी नेताओं से देश को निजात मिलती। अपने देश के बारे में ऐसी सोच व भावना पैदा होना राष्ट्रद्रोह अथवा विडम्बना की बात नहीं, बल्कि एक बेबस हो चुके जनतंत्र की भ्रष्टतंत्र के प्रति बद्दुआ थी। देश के भ्रष्टतंत्र ने देश का सारा पैसा और ऐशोआराम दस प्रतिशत लोगों तक सीमित करके रख दिया। हकीकत में गरीबी बढ़ती रही और आंकड़ों में गरीबी की निरन्तर गिरावट व विकास दर Åँची दिखाई जाती रही।

कुछ समय पहले प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुरेश तेन्दुलकर की अध्यक्षता में गठित समिति के अध्ययन के अनुसार देश का हर तीसरा आदमी गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। गाँवों में रहने वाले ४१.८ प्रतिशत लोग जीवित रहने के लिए हर माह सिर्फ ४४७ रूपये खर्च कर पाते हैं। देश के ३७ प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीब हैं। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के अनुमान से १० प्रतिशत अधिक है। जबकि भारत सरकार द्वारा नियुक्त अर्जुन सेन गुप्त आयोग के अनुसार भारत के ७७ प्रतिशत लोग (लगभग ८३ करोड़ ७० लाख लोग) २० रूपये से भी कम रोजाना की आय पर किसी तरह गुजारा करते हैं। जाहिर है कि महज २० रूपये में जरूरी चीजें भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि पूरी नहीं की जा सकती। इनमें से २० करोड़ से अधिक लोग तो केवल और केवल १२ रूपये रोज से अपना गुजारा चलाने को विवश हैं। केवल इतना ही नहीं, विकास बैंक के अनुसार यह आंकड़ा ६२.२ प्रतिशत बनता है। केन्द्र सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह द्वारा सुझाए गए मापदण्डों के अनुसार देश में गरीबों की संख्या ५० प्रतिशत तक हो सकती है। गरीबों की विश्व बैंक के अनुसार भारत में वर्ष २००५ में ४१.६ प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे थे। एशियाई गिनती के लिए मापदण्ड तय करने में जुटे विशेषज्ञों के समूह की बात यदि सरकार स्वीकार करती है तो देश की ५० प्रतिशत आबादी गरीबी की रेखा से नीचे (बीपीएल) पहुंच जाएगी। जनता का सरकार से विश्वास उठ गया है। सरकार की भ्रष्ट नीतियों एवं बनावटी आंकड़ों ने जनतंत्र में शनै:-शनै: भयंकर आक्रोश भरकर रख दिया है।

इसी की अभिव्यक्ति गत ५ से ८ अप्रैल की अवधि में चले अप्रत्याशित जन-आन्दोलन के रूप में थी। जनता के अन्दर भ्रष्ट सत्ताधारियों के प्रति गहरी नाराजगी थी, लेकिन नेता अपनी भ्रष्टता से बाज नहीं आ रहे थे। इसी के चलते जंतर-मंतर पर उमड़े जन-सैलाब ने एक बार फिर भ्रष्ट नेताओं को उनकी औकात दिखा दी। यह तो गनीमत रही कि सब कुछ गांधीगिरी से हुआ। यदि सरदार भगत सिंह और छत्रपति शिवाजी के नक्शेकदम पर यह जन-आन्दोलन चल निकलता तो स्थिति क्या होती, इसकी कल्पना मात्र से ही शरीर में सिहरन पैदा हो उठती है। ऐसा भविष्य मंे भी हो सकता है। क्योंेकि जन-आन्दोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह तो एक छोटा सा पड़ाव भर है। वैसे तो जनतंत्र सहज ही असहज नहीं होता, लेकिन जब वह असहज हो जाता है तो सहज होना उसके लिए असहज हो जाता है। जब जनतंत्र असहज हो चुका है। जनता जागरूक हो चुकी है। भ्रष्ट लोगों की कार-गुजारियों से जन-जन परिचित हो चुका है। अब नेताओं की भ्रष्ट नेतागिरी चलने वाली नहीं है। जन-आन्दोलन का यह छोटा सा पड़ाव, भ्रष्ट नेताओं के लिए बेहद ही सुनहरी मौका है। यदि इस मौके का लाभ वे नहीं उठा पाते हैं तो संभवत: जनतंत्र उन्हें कोई दूसरा मौका भविष्य में न दे सके।

अब भी सरकार को होश में आ जाना चाहिए। सरकार द्वारा जिस मुंह से अण्णा हजारे की सभी मांगों को मंजूर किया गया है, उसी मुंह से उसे ३० जून तक नए जन लोकपाल बिल का ड्राफ्ट जनतंत्र की भावनाओं के अनुरूप तैयार करके आगामी मानसून सत्र में ध्वनि मत से पारित करे और उस पर पूर्ण ईमानदारी से अमल करे। इसके साथ ही पिछले ४० साल से लोकपाल बिल में हुई देरी से जनतंत्र से क्षमा भी मांगे। जनता तो जाग चुकी है। अब सत्ता की बारी है।


क्या है जन लोकपाल बिल?

जन लोकपाल बिल इस कानून के तहत केंæ में लोकपाल और राज्यों में लोकायुä का गठन होगा। यह संस्था इलेक्शन कमिशन और सुçीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी। किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा। भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को २ साल के भीतर जेल भेजा जाएगा। भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा। अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा। लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। लोकपाल लोक आयुäों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच २ महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा। सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा। लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शäि और व्यवस्था होगी। जस्टिस संतोष हेगड़े, çशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।

हालांकि इस बिल को अंतिम रूप देने व उसे लागू करने के लिए वयोवृद्ध समाज अण्णा हजारे के सफल जन्तर-मन्तर पर चार दिन तक चले आमरण अनशन के बाद सरकार ने घुटने टेकते हुए एक दस सदस्यीय संयुक्त मसौदा समिति का गठन किया है, जिसमें पाँच सदस्य सरकार की तरफ से होंगे और पाँच सदस्य समाज से होंगे। इसका एक अध्यक्ष सरकार की तरफ से होगा और समाज की तरफ से एक सह-अध्यक्ष होगा। इस समिति में सरकार की तरफ से अध्यक्ष वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी होंगे और गृहमंत्री पी.चिदम्बरम, कानून मंत्री एम.वीरप्पा मोइली, मानव संसाधन विकास और संचार एवं सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्री कपिल सिब्बल, जल संसाधन एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद सदस्य होंगे। समाज की तरफ से प्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण समिति के सह-अध्यक्ष होंगे और अण्णा हजारे, न्यायमूर्ति एन.संतोष हेगड़े, कानूनविद् प्रशांत भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल सदस्य होंगे। यह संयुक्त मसौदा समिति ३० जून, २०११ तक ‘जन लोकपाल बिल’ का ड्राफ्ट तैयार करेगी और जून में होने वाले मानसून सत्र में इसे संसद के पटल पर रखा जाएगा। वयोवृद्ध समाजसेवी अण्णा हजारे ने इस बिल को १५ अगस्त तक लागू करने का सरकार को अल्टीमेटम दिया है।

-प्रस्तुति : राजेश कश्यप




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शनिवार, 9 अप्रैल 2011

‘जन लोकपाल बिल’ आन्दोलन की सफलता पर हरियाणा कश्यप राजपूत सभा ने जमकर मनाया जश्न

‘जन लोकपाल बिल’ आन्दोलन
की सफलता पर
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा ने जमकर मनाया जश्न



9 अप्रैल, रोहतक।

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा प्रख्यात वयोवृद्ध समाजसेवक अण्णा हजारे द्वारा भष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ‘जन लोकपाल बिल’ लागू करवाने हेतू शुरू किए गए जन आन्दोलन की सफलता पर जमकर जश्न मनाया। इस अवसर पर लड्डू बांटकर खुशियां मनाई गई और एक-दूसरे को बधाई दी गई। यह जानकारी देते हुए सभा के प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं रोहतक जिले के प्रधान युवा समाजसेवी राजेश कश्यप ने बताया कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध अण्णा हजारे के नेतृत्व में यह मात्र शुरूआत भर है, अभी तो जंग बहुत लंबी चलेगी और इस जंग में कश्यप समाज कभी पीछे नहीं रहेगा।

इस अवसर पर कश्यप सभा के सरपरस्त बलजीत सिंह मतौरिया ने घोषणा करते हुए कहा कि इस बिल को संसद में पास करवाने से लेकर, उसे सच्चे अर्थों में लागू करवाने तक की जंग में हम सब सक्रिय भागीदारी करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि आज देश के करोड़ों युवाओं को इस भ्रष्टाचार विरोधी महायुद्ध में महान समाजसेवी अण्णा हजारे जैसे श्री कृष्ण की जरूरत थी, जोकि अब समय रहते पूरी हो गई है। सभा के सभी सदस्यों ने भ्रष्टाचार की इस मुहिम में बढ़चढ़कर भाग लेने का संकल्प लिया और ‘इंकलाब-जिन्दाबाद’ व ‘भारत-माता की जय’ के नारे बुलन्द किए।





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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया का प्रख्यात वयोवृद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे जी को समर्थन स्वरूप लिखा गया पत्र

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया का प्रख्यात वयोवृद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे जी को समर्थन स्वरूप लिखा गया पत्र




आदरणीय अन्ना हजारे जी,
सादर प्रणाम।

"कर्म क्षेत्र हरा है अपना, ज्ञान शुर्भ मनमाना,
बली बलवती विनित भक्ति का, कल केसरिया बाना।
इस त्रियोग के तीर्थ राज में, हमें स्वधर्म निभाना
अपनी स्वतंत्रता से सबका, मुक्ति मंत्र है पाना।"

आज देश  के करोड़ों युवा अर्जुनों को इस भ्रष्टाचार विरोधी महायुद्ध में आप जैसे कृष्ण समान सारथी की आवश्यकता है, जिससे उन्हें सही दिशा व मार्गदर्शन मिल सके। यह युद्ध सत्य व राष्ट्रधर्म के पक्ष में है, जिसमें हमें विजय अवश्य प्राप्त होगी।

हमने आपसे यह सीखा है कि, "पुरूषार्थी मनुष्य आदर्शों के पदचिन् नहीं तलाशते, उनके स्वयं का हर कदम संसार के लिए मंजिल बन जाया करते हैं।"

मैं व्यक्तिगत रूप से व हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. नं. १८४) जन आन्दोलन को पूर्ण समर्थन देता हूँ।

शुभकामनाओं के साथ,
आपका

(बलजीत सिंह)
सरपरस्त,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा।





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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

‘जन लोकपाल बिल’ आन्दोलन को हरियाणा कश्यप राजपूत सभा ने दिया पूर्ण समर्थन

 ‘जन लोकपाल बिल’ आन्दोलन को हरियाणा कश्यप राजपूत सभा ने दिया पूर्ण समर्थन
6 अपै्रल 2011, रोहतक।
"हरियाणा कश्यप राजपूत सभा प्रख्यात वयोवृद्ध समाजसेवक अन्ना हजारे द्वारा भष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ‘जन लोकपाल बिल’ लागू करवाने हेतू शुरू किए गए जन आन्दोलन का पूर्ण समर्थन करती है और उनके साथ है।" इस आशय की घोषणा युवा समाजसेवी एवं सभा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश कश्यप ने करते हुए कहा कि भ्रष्ट नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने देश को कंगाल बनाकर रख दिया है। लाखों करोड़ों के घोटालों और अपार काले धन ने आम जनमानस की कमर तोड़कर रख दी है। भ्रष्टाचार के कारण आम आदमी गरीबी, बेरोजगारी, बेकारी, भूखमरी, बिमारी आदि हर समस्या से त्रस्त हो चुका है और उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। युवा समाजसेवी राजेश कश्यप ने आगे कहा कि भ्रष्टाचारियों ने सरदार भक्त सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपतराय, उद्धम सिंह, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जैसे अमर शहीदों की कुर्बानियों का अपमान किया है और देश को उनके सपनों का भारत न बनने देने का अपराध किया है। श्री कश्यप ने कहा कि अब जनता जाग चुकी है और देश के गद्दारों एवं भ्रष्टाचारियों से चुन-चुनकर हिसाब लेगी।
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