आदरणीय मित्रों! आगामी 24 मई को ‘महर्षि कश्यप जयन्ती’ के पावन पर्व पर आप सब अपने विचार देने के लिए उत्सुक हैं, जिसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं। कई मित्रों ने इस अवसर पर दिये जाने वाले विचारों का एक प्रारूप तैयार करने में मदद मांगी है। उन मित्रों के लिए ‘सामाजिक सन्देश’ स्वरूप में मैं अपने विचार अग्रिम तौरपर आपकी सेवा में प्रेषित कर रहा हूँ। उम्मीद है ये विचार आपके माध्यम से कश्यप समाज के जन-जन तक पहुंचेगे और आपको अपने विचार तय करने में मदद मिलेगी।
सादर,
आपका स्नेहाकांक्षी,
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
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सादर,
आपका स्नेहाकांक्षी,
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
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जय महर्षि कश्यप जी ! जय कश्यप समाज !! जय बाबा कालू जी !!
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सामाजिक सन्देश
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1. सादर अभिनंदन:
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परम आदरणीय मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, समाज के वरिष्ठ नेतागण, बुजुर्गों, माताओं-बहनों, मित्रों, प्रेस बन्धुओं और प्यारे बच्चों! आप सबको ‘सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जयन्ती’ के पावन पर्व पर हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं देता हूँ। इस पावन पर्व पर आयोजित सामाजिक सम्मेलन में आपका सादर अभिनंदन करता हूँ। महर्षि कश्यप जी और समाज के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा और समर्पित भावना के लिए साधुवाद देता हूँ।
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2. महर्षि कश्यप जी की महिमा:
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आदरणीय भाईयों और बहनों! आप सबको पता है कि महर्षि कश्यप जी द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है, जिसके कारण उन्हें ‘सृष्टि सृजक’ की उपाधि से विभूषित किया जाता है। श्रीनरसिंह पुराण के पांचवें अध्याय के अनुसार दक्ष प्रजापति ने ब्रहा्रा जी के आदेश (तुम प्रजा की सृष्टि करो) पर अपनी पत्नी असिवनी के गर्भ से 60 कन्याएं पैदा कीं। उन्होंने इन 60 कन्याओं में से 13 कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप के साथ किया, जिनके नाम 1. अदिति, 2. दिति, 3. दनु, 4. अरिष्टा, 5. सुरसा, 6. खसा, 7. सुरभि, 8. विनता, 9. ताम्रा, 10. क्रोधवशा, 11. इरा, 12. कद्रू और 13. मुनि थे। मुख्यतः इन्ही से ही सृष्टि का सृजन हुआ और जिसके परिणामस्वरूप महर्षि कश्यप जी ‘सृष्टि के सृजक’ कहलाए। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भिक एवं निर्लोभी थे। कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का अक्षरशः पालन करते थे। उन्ही की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका। श्रीनरसिंह पुराण के अनुसार मरीचि ऋषि ब्रहा्रा जी के मानस पुत्र थे। मरीचि ऋषि की पत्नी थीं सम्भूति। इन्हीं सम्भूति की कोख से महर्षि कश्यप का जन्म हुआ। महर्षि कश्यप अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप एवं तप के बल पर श्रेष्ठतम महाविभूतियों में गिने जाते थे। महर्षि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने गए। महर्षि कश्यप ने समाज को एक नई दिशा देने के लिए ‘स्मृति-ग्रन्थ’ जैसे महान् ग्रन्थ की रचना की। इसके अलावा महर्षि कश्यप ने ‘कश्यप-संहिता’ की रचना करके तीनों लोकों में अमरता हासिल की। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार ‘कस्पियन सागर’ एवं भारत के शीर्ष प्रदेश कश्मीर का नामकरण भी महर्षि कश्यप जी के नाम पर ही हुआ। कुल मिलाकर महर्षि कश्यप जी की महिमा का जितना बखान किया जाए, उतना ही कम होगा। ऐसे महातेजस्वी, महाप्रतापी, महाविभूति, महायोगी, सप्तऋषियों में प्रमुख व सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जी को कोटि-कोटि वन्दन एवं नमन है।
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3. समाज की दशा और दिशा:
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आदरणीय भाईयो और बहनों! आज वर्तमान समय में हमारे समाज की कैसी दशा है और हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं, यह आप सब भलीभांति जानते हैं। आप यह भी जानते हैं कि हमारे समाज के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों से मुकाबला करना कितना जरूरी है। निःसन्देह, आज हमें एकजूट होने होने की जरूरत है। हमें शिक्षा पर जोर देने की आवश्यकता है। हमें समाज की उन्नति एवं विकास को सुनिश्चित करने वाली योजनाएं बनाने की जरूरत है। किन्हीं कारणों से विपरीत परिस्थितियों, अन्याय, अत्याचार, आपदा और आपातकालीन परिस्थितियों का शिकार होने वाले लोगों को सहारा दे सकें, ऐसी व्यवस्था के निर्माण की आवश्यकता है। हाशिये पर बैठे आखिरी आदमी तक की सुध लेने वाले नेतृत्व निर्माण की जरूरत है। युवाओं के कैरियर निर्माण में सहायक बनने वाले कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। समाज की बहू-बेटियों के मान-सम्मान और सशक्तिकरण के लिए सतत योजनाएं बनाने की जरूरत है। समाज की प्रतिभाओं को सम्मान देने और उन्हें आगे बढ़ाने वाली सोच को पैदा करने की आवश्यकता है। समाज को राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर नई बुलन्दियों पर ले जाने वाली नीतियां बनाने की जरूरत है।
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4. आह्वान:
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आदरणीय भाईयों और बहनों! समाज की उन्नति एवं विकास पर केन्द्रित इन लक्ष्यों को हासिल करना थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन असम्भव नहीं है। इन सब लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें एकजूट होना पड़ेगा, जागरूकता का परिचय देना पड़ेगा, समाजहित में समय देना पड़ेगा, समाजहित की योजनाओं को सफल बनाने के लिए सच्चे दिल से संकल्प लेना होगा। इसके साथ ही संकीर्ण सोच रखने वाले, निजी स्वार्थपूर्ति के लिए समाज को तोड़ने वाले और समाजसेवा के नाम पर ठगने वाले लोगों को किनारे करना होगा। हम सबको मिलकर प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर, ब्लॉक स्तर और ग्राम/कॉलोनी स्तर तक एक कर्मठ, निष्ठावान, समाज समर्पित, ईमानदार, पारदर्शी और जवाबदेह सामाजिक नेतृत्व तैयार करना होगा। यह लक्ष्य तभी संभव हो पाएगा, जब अच्छी सोच और संकल्प वाले लोग समाज का नेतृत्व करने के लिए आगे आएंगे। समाजहित में ऐसे लोगों को आगे आना ही होगा। आज नहीं तो कल, कभी न कभी तो उन्हें आगे आना ही पड़ेगा। ‘कल करे सो आज कर और आज करे सो अब’ आदर्श मंत्र का अनुसरण करते हुए क्यों न आज ही हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम समाज को नई दशा और दिशा देने के लिए हरसंभव योगदान देंगे और समाज की हर बैठक व कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग लेंगे। उन्हें समाजहित में जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाएंगे। आपको पता ही होगा कि इस समय प्रदेश स्तर पर ‘हरियाणा कश्यप विकास अभियान’ जोरशोर से चल रहा है। इस अभियान का मुख्य मकसद समाज समर्पित अच्छे-अच्छे लोगों को संगठित करने और उन्हें समाज के लिए आदर्श नेतृत्व करने का मौका देने का है। इस समय हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी के पावन मार्गदर्शन में 30 सदस्यीय कमेटी सभा व समाज के दायित्वों का पूरी ईमानदारी व समर्पित भावना से अपने कर्त्तव्यों को निभा रही है और अध्यक्ष हमारे महोदय की समाज से परम अभिलाषा व आह्वान है कि ईमानदार और समाज समर्पित जिम्मेदार लोग आगे आएं, ताकि समाज की उन्नति एवं विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्हें समुचित जिम्मेदारी दी जा सके।
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5. सादर आमंत्रण:
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आदरणीय मित्रों! निकट भविष्य में हम हरियाणा प्रदेश में अपने कश्यप समाज का एक भव्य जागरूकता महासम्मेलन करने जा रहे हैं, जिसमें राष्ट्र स्तर पर अपने समाज के जितने भी सांसद हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से सम्बंध रखते हैं, उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाएगा और उन्हंे सम्मानित किया जायेगा। इसके साथ ही समाजहित में तैयार किए जाने वाले प्रस्तावों को अपने सांसदों को सौंपा जायेगा, ताकि वे अपने समाज की आवाज को संसद में उठा सकें। जब हमारी आवाज संसद में उठेगी तो निश्चित तौरपर हमारे समाज में एक नया बदलाव आयेगा और उन्नति एवं विकास का मार्ग सरल होगा। इस महासम्मेलन में आप सादर सपरिवार आमंत्रित हैं। इसके साथ ही आपसे विनम्र निवेदन है कि महासम्मेलन का यह निमंत्रण हरियाणा के घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने में अपना समुचित योगदान जरूर देने का कष्ट करें।
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6. विश्वास और आभार:
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मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी भावनाओं को अन्यथा न लेते हुए, मेरे विचारों पर गौर करेंगे और समाज की उन्नति व विकास में अपना यथोचित योगदान देने का आज दृढ़ संकल्प लेंगे। आप सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जयन्ती के पावन समारोह में पधारे, इसके लिए पुनः आपका हृदय की गहराईयों से धन्यवाद एवं आभार। इन्हीं शब्दों के साथ...
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जय महर्षि कश्यप जी ! जय बाबा कालू जी !! जय कश्यप समाज !!!
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परम आदरणीय मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, समाज के वरिष्ठ नेतागण, बुजुर्गों, माताओं-बहनों, मित्रों, प्रेस बन्धुओं और प्यारे बच्चों! आप सबको ‘सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जयन्ती’ के पावन पर्व पर हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं देता हूँ। इस पावन पर्व पर आयोजित सामाजिक सम्मेलन में आपका सादर अभिनंदन करता हूँ। महर्षि कश्यप जी और समाज के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा और समर्पित भावना के लिए साधुवाद देता हूँ।
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2. महर्षि कश्यप जी की महिमा:
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आदरणीय भाईयों और बहनों! आप सबको पता है कि महर्षि कश्यप जी द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है, जिसके कारण उन्हें ‘सृष्टि सृजक’ की उपाधि से विभूषित किया जाता है। श्रीनरसिंह पुराण के पांचवें अध्याय के अनुसार दक्ष प्रजापति ने ब्रहा्रा जी के आदेश (तुम प्रजा की सृष्टि करो) पर अपनी पत्नी असिवनी के गर्भ से 60 कन्याएं पैदा कीं। उन्होंने इन 60 कन्याओं में से 13 कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप के साथ किया, जिनके नाम 1. अदिति, 2. दिति, 3. दनु, 4. अरिष्टा, 5. सुरसा, 6. खसा, 7. सुरभि, 8. विनता, 9. ताम्रा, 10. क्रोधवशा, 11. इरा, 12. कद्रू और 13. मुनि थे। मुख्यतः इन्ही से ही सृष्टि का सृजन हुआ और जिसके परिणामस्वरूप महर्षि कश्यप जी ‘सृष्टि के सृजक’ कहलाए। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भिक एवं निर्लोभी थे। कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का अक्षरशः पालन करते थे। उन्ही की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका। श्रीनरसिंह पुराण के अनुसार मरीचि ऋषि ब्रहा्रा जी के मानस पुत्र थे। मरीचि ऋषि की पत्नी थीं सम्भूति। इन्हीं सम्भूति की कोख से महर्षि कश्यप का जन्म हुआ। महर्षि कश्यप अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप एवं तप के बल पर श्रेष्ठतम महाविभूतियों में गिने जाते थे। महर्षि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने गए। महर्षि कश्यप ने समाज को एक नई दिशा देने के लिए ‘स्मृति-ग्रन्थ’ जैसे महान् ग्रन्थ की रचना की। इसके अलावा महर्षि कश्यप ने ‘कश्यप-संहिता’ की रचना करके तीनों लोकों में अमरता हासिल की। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार ‘कस्पियन सागर’ एवं भारत के शीर्ष प्रदेश कश्मीर का नामकरण भी महर्षि कश्यप जी के नाम पर ही हुआ। कुल मिलाकर महर्षि कश्यप जी की महिमा का जितना बखान किया जाए, उतना ही कम होगा। ऐसे महातेजस्वी, महाप्रतापी, महाविभूति, महायोगी, सप्तऋषियों में प्रमुख व सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जी को कोटि-कोटि वन्दन एवं नमन है।
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3. समाज की दशा और दिशा:
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आदरणीय भाईयो और बहनों! आज वर्तमान समय में हमारे समाज की कैसी दशा है और हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं, यह आप सब भलीभांति जानते हैं। आप यह भी जानते हैं कि हमारे समाज के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों से मुकाबला करना कितना जरूरी है। निःसन्देह, आज हमें एकजूट होने होने की जरूरत है। हमें शिक्षा पर जोर देने की आवश्यकता है। हमें समाज की उन्नति एवं विकास को सुनिश्चित करने वाली योजनाएं बनाने की जरूरत है। किन्हीं कारणों से विपरीत परिस्थितियों, अन्याय, अत्याचार, आपदा और आपातकालीन परिस्थितियों का शिकार होने वाले लोगों को सहारा दे सकें, ऐसी व्यवस्था के निर्माण की आवश्यकता है। हाशिये पर बैठे आखिरी आदमी तक की सुध लेने वाले नेतृत्व निर्माण की जरूरत है। युवाओं के कैरियर निर्माण में सहायक बनने वाले कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। समाज की बहू-बेटियों के मान-सम्मान और सशक्तिकरण के लिए सतत योजनाएं बनाने की जरूरत है। समाज की प्रतिभाओं को सम्मान देने और उन्हें आगे बढ़ाने वाली सोच को पैदा करने की आवश्यकता है। समाज को राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर नई बुलन्दियों पर ले जाने वाली नीतियां बनाने की जरूरत है।
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4. आह्वान:
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आदरणीय भाईयों और बहनों! समाज की उन्नति एवं विकास पर केन्द्रित इन लक्ष्यों को हासिल करना थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन असम्भव नहीं है। इन सब लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें एकजूट होना पड़ेगा, जागरूकता का परिचय देना पड़ेगा, समाजहित में समय देना पड़ेगा, समाजहित की योजनाओं को सफल बनाने के लिए सच्चे दिल से संकल्प लेना होगा। इसके साथ ही संकीर्ण सोच रखने वाले, निजी स्वार्थपूर्ति के लिए समाज को तोड़ने वाले और समाजसेवा के नाम पर ठगने वाले लोगों को किनारे करना होगा। हम सबको मिलकर प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर, ब्लॉक स्तर और ग्राम/कॉलोनी स्तर तक एक कर्मठ, निष्ठावान, समाज समर्पित, ईमानदार, पारदर्शी और जवाबदेह सामाजिक नेतृत्व तैयार करना होगा। यह लक्ष्य तभी संभव हो पाएगा, जब अच्छी सोच और संकल्प वाले लोग समाज का नेतृत्व करने के लिए आगे आएंगे। समाजहित में ऐसे लोगों को आगे आना ही होगा। आज नहीं तो कल, कभी न कभी तो उन्हें आगे आना ही पड़ेगा। ‘कल करे सो आज कर और आज करे सो अब’ आदर्श मंत्र का अनुसरण करते हुए क्यों न आज ही हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम समाज को नई दशा और दिशा देने के लिए हरसंभव योगदान देंगे और समाज की हर बैठक व कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग लेंगे। उन्हें समाजहित में जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाएंगे। आपको पता ही होगा कि इस समय प्रदेश स्तर पर ‘हरियाणा कश्यप विकास अभियान’ जोरशोर से चल रहा है। इस अभियान का मुख्य मकसद समाज समर्पित अच्छे-अच्छे लोगों को संगठित करने और उन्हें समाज के लिए आदर्श नेतृत्व करने का मौका देने का है। इस समय हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) की मुख्य प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री बलजीत सिंह मतौरिया जी के पावन मार्गदर्शन में 30 सदस्यीय कमेटी सभा व समाज के दायित्वों का पूरी ईमानदारी व समर्पित भावना से अपने कर्त्तव्यों को निभा रही है और अध्यक्ष हमारे महोदय की समाज से परम अभिलाषा व आह्वान है कि ईमानदार और समाज समर्पित जिम्मेदार लोग आगे आएं, ताकि समाज की उन्नति एवं विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्हें समुचित जिम्मेदारी दी जा सके।
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5. सादर आमंत्रण:
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आदरणीय मित्रों! निकट भविष्य में हम हरियाणा प्रदेश में अपने कश्यप समाज का एक भव्य जागरूकता महासम्मेलन करने जा रहे हैं, जिसमें राष्ट्र स्तर पर अपने समाज के जितने भी सांसद हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से सम्बंध रखते हैं, उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाएगा और उन्हंे सम्मानित किया जायेगा। इसके साथ ही समाजहित में तैयार किए जाने वाले प्रस्तावों को अपने सांसदों को सौंपा जायेगा, ताकि वे अपने समाज की आवाज को संसद में उठा सकें। जब हमारी आवाज संसद में उठेगी तो निश्चित तौरपर हमारे समाज में एक नया बदलाव आयेगा और उन्नति एवं विकास का मार्ग सरल होगा। इस महासम्मेलन में आप सादर सपरिवार आमंत्रित हैं। इसके साथ ही आपसे विनम्र निवेदन है कि महासम्मेलन का यह निमंत्रण हरियाणा के घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने में अपना समुचित योगदान जरूर देने का कष्ट करें।
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6. विश्वास और आभार:
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मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी भावनाओं को अन्यथा न लेते हुए, मेरे विचारों पर गौर करेंगे और समाज की उन्नति व विकास में अपना यथोचित योगदान देने का आज दृढ़ संकल्प लेंगे। आप सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जयन्ती के पावन समारोह में पधारे, इसके लिए पुनः आपका हृदय की गहराईयों से धन्यवाद एवं आभार। इन्हीं शब्दों के साथ...
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जय महर्षि कश्यप जी ! जय बाबा कालू जी !! जय कश्यप समाज !!!
जय हरियाणा ! जय भारत !! सादर प्रणाम !!!
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-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
प्रदेश मीडिया प्रभारी, प्रवक्ता एवं सूचना अधिकारी,
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184)
मोबाईल नं. 9416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com
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