विशेष रिपोर्ट : राजेश कश्यप, रोहतक (हरियाणा )
महापंचायत के प्रमुख वक्ता |
‘‘बिना पूर्ण न्याय हासिल किये, हम चैन से नहीं बैठेगें, न ही किसी को बैठने देंगे और न्याय पाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे व हर कुर्बानी देंगे’’
यह ‘ऐलान-ए-जंग’ गत 21 मई, 2015 को गुड़गाँव जिले के सैक्टर-39 स्थित ‘दीनबन्धु चौधरी छोटूराम भवन’ में आयोजित महापंचायत में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) विभाग, जिला प्रशासन और सरकार द्वारा गाँव फतेहपुर (झाड़सा) गुड़गाँव, हरियाणा के उजाड़े गए पीड़ित 250 गरीब पिछड़े कश्यप परिवारों ने कर दिया है। पीड़ितों ने इस महापंचायत में दो टूक शब्दों में कह दिया कि उन्हें बिल्डिरों को लाभ पहुँचाने के लिए बेघर व बर्बाद किया गया है और उन पर अनेक तरह के अमानवीय जुल्म ढ़ाये गए हैं। महापंचायत में पीड़ितों ने जब अपनी दुःख भरी दास्तां बयां की तो हर किसी की आँखें छलक आईं।
पीड़ितों की व्यथा सुनकर खड़े हो गए सबके रौंगटे!
जब महापंचायत में पीड़ितों ने पुलिस और बिल्डरों के बाऊंसरों द्वारा ढ़ाये गए जुल्मों की दास्तां सुनाई तो हर किसी के रौंगटे खड़े हो गए। इस महापंचायत में पीड़ितों ने बताया कि वे गाँव फतेहपुर (झाड़सा) के स्थायी निवासी हैं और पिछली तीन पीढ़ियों से बसे हुए हैं। यहाँ चारों तरफ ‘युनिटेक’ और ‘यूनिवर्ल्ड’ बिल्डरों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। इन बिल्डरों ने हुडा विभाग, प्रशासन और सरकार से मिलकर कानूनों का दुरूपयोग करके उनकें 250 मकानों और झुग्गी झोंपड़ियों में आग लगा दी, कीमती सामान लूट लिया और फिर बुल्डोजरों से सबकुछ मिट्टी में दफन कर दिया। पीड़ितों रोते-बिलखते बताया कि उनके 50 से अधिक बेकसूर महिलाओं व पुरूषों को गंभीर धाराओं में भोंडसी जेल में बन्द किया हुआ है और अब भी गिरफ्तारियां जारी हैं। गत 15 मई को सुबह अचानक 2500 की पुलिस फौज ने उन पर आँसू गैस के गोले छोड़ने, सैकड़ांे की संख्या में गोलियों के फायर करने और लाठियों से बड़ी बेरहमी से प्रहार करने शुरू कर दिये। पीड़ितों का आरोप है कि इन सब जुल्मों और अत्याचारों में बिल्डरों के बांऊसरों ने भी निर्दोष लोगों, मासूम बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं, वुद्धाओं और प्रसूताओं पर जमकर कहर ढ़ाया।
मानवाधिकारों से भी वंचित कर दिया गये हैं पीड़ित परिवार!
गाँव फतेहपुर (झाड़सा) के 250 गरीब परिवारों को पुलिस ने बड़ी निर्मम व बर्बर कार्यवाही के बाद बेघर व बर्बाद तो कर ही दिए, साथ ही उन्हें मानवाधिकारों से भी वंचित कर दिया गया है। महापंचायत में पीड़ित महिलाओं ने बताया कि वे जहां-तहां झाड़ियों, गन्दे नालांे और खेतों में खुले आसमान के नीचे पड़े हैं। उनके पास न तो खाने के लिये अन्न है और न पीने के लिए पानी। उनके मासूम बच्चे दिनरात बिलख रहे हैं। स्कूल में जाने वाले बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई है। घायल लोग इलाज के बगैर तड़प रहे हैं। लड़कियों और महिलाओं की इज्जत खतरे में है। रात होते ही खुले आसमान के नीचे झाड़ी-झंखाड़ियों में पड़ा होने के कारण हर तरह की अनहोनी का डर सता रहा है। भूख-प्यास से कई लोगों एवं महिलाओं की हालत बेहद गंभीर हो चुकी है। जेलों में बंद महिलाओं के नन्हें मासूम बच्चे बिना माँ के बिलख रहे हैं। उन्हें जेल में बच्चों से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। उनकीं पैरवी भी न्यायालय में अच्छी तरह से करने वाला भी कोई नहीं है। 15 मई, 2015 की पुलिस की बर्बर कार्यवाही के बाद पीड़ित लोगों की सुध लेने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई सुध लेने वाला नहीं आया है। प्रदेश व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तरफ से भी कोई व्यक्ति पीड़ितों का दर्द बांटने नहीं पहुँचा है। इन पीड़ितों की मदद करने के लिए स्थानीय अथवा बाहरी अन्य कोई भी सामाजिक संगठन अभी तक आगे नहीं आया है। पीड़ितों की मीडिया कवरेज भी निष्पक्ष तरीके से नहीं हो पा रही है और राष्ट्रीय मीडिया ने भी अभी तक पीड़ितों की आवाज को सरकार तक पहुँचाने में अपनी यथोचित भूमिका अदा नहीं की है। ऐसे में, पीड़ितों को राष्ट्रपति, न्यायालय अथवा मानवाधिकार आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेने का इंतजार है। पीड़ितों की आँखें मददगारों की राह तकते-तकते पथरा गई हैं, लेकिन अब तक सभी बेदर्द बने हुए हैं। इन पीड़ितों का कहना है कि क्या वे देश के दुश्मन हैं कि उन्हें अभी तक मानवाधिकार पाने के योग्य भी नहीं समझा गया है?
मासूम व अबोध बच्चे भी महापंचायत में न्याय माँगने आए!
महापंचायत में अपने पीड़ित अभिभावकों के साथ नन्हें, अबोध व मासूम बच्चे भी आये। इनके मासूम चेहरों को पढ़ने कोशिश कीजिये, इनके सवाल स्वतः सुनाई देने लगते हैं। देखिये कुछ इन मासूमों को और सुनिए उनके सवाल :-
1. हमारे गाँव फतेहपुर (झाड़सा) को पुनः आबाद किया जाये।
2. सरकार हमारे मकानों का निर्माण कराये।
3. हमारे लूटे और जलाये गए सामानों व वाहनों के मुआवजे के तौरपर प्रति परिवार एक करोड़ रूपया तत्काल जारी किया जाये।
4. पुलिस द्वारा जब्त सामान को लौटाया जाये।
5. गिरफ्तार किये गये निर्दोष लोगों को तत्काल रिहा किया जाये और उन पर लगाई गई सभी संगीन धाराओं को वापिस लिया जाये।
6. मामले की न्यायिक जाँच हाईकोर्ट के रिटार्यड जज अथवा सीबीआई से करवाई जाये।
महापंचायत में पीड़ित पुरूष, महिलाएं, वृद्ध एवं बच्चे न्याय की दिलाने की माँग करते हुए:-
पीड़ितों की प्रदेश सरकार व प्रशासन को स्पष्ट व सख्त चेतावनी!
पीड़ित 250 गरीब पिछड़े कश्यप परिवारों ने महापंचायत में प्रदेश सरकार व प्रशासन को स्पष्ट व सख्त चेतावनी जारी की है कि यदि यथाशीघ्र उनकीं माँगों को नहीं माना गया तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं और कोई भी कुर्बानी दे सकते हैं। पीड़ितों ने कहा कि पहले वे न्याय पाने और अपनी माँगों को मनवाने के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन करेंगे और यदि प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी तो वे राष्ट्रपति भवन के सामने अपने मासूम बच्चों सहित सामूहिक आत्महत्या करने का कठोर निर्णय भी कर सकते हैं। इस बीच यदि प्रशासन द्वारा उन पर और कोई ज्यादती की गई तो वह बर्दास्त नहीं की जायेगी। पीड़ितों ने प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार से अपील की है कि उनकीं माँगों को यथाशीघ्र स्वीकार किया जाये, क्योंकि उनका धैर्य टूटने की कगार पर पहुँच चुका है।
खापों ने दिया पीड़ितों को समर्थन
पीड़ितों द्वारा बुलाई गई महापंचायत में सर्वखाप व सर्वजात खाप पंचायतों ने अपना पूरा समर्थन दिया है और इस संघर्ष में हर स्तर पर साथ देने का ऐलान भी किया है। इस महापंचायत में दिल्ली सर्वजात सर्वखाप पालम 360 के प्रधान चौधरी रामकरण सिंह सोलंकी ने सरकार पर कड़ा कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘‘सरकार ने पीड़ितों के साथ कितना बड़ा भद्दा मजाक किया है। वह वर्षों से मकान पर कब्जा जमाये बैठे किरायेदारों को तो बाहर नहीं कर सकती और कई पीढ़ियों से बसे गरीब पिछड़े कश्यप परिवारों को एक ही झटकें में उजाड़कर रख दिया।’’ इनके साथ ही हरियाणा सर्वजाति सर्वखाप गाँव झाड़सा 360 के प्रधान चौधरी महेन्द्र सिंह और दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान से आये खाप पंचायत के प्रतिनिधियों ने भी महापंचायत में प्रदेश व केन्द्र सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिया जाये और उनकीं माँगों बिना देर किये स्वीकार किया जाये। यदि सरकार ऐसा नहीं करती हैं तो पीड़ितों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ महामोर्चा खोला जायेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं पीड़ितों के असली गुनाहगार!
महापंचायत में पीड़ितों ने अपने वर्तमान हालातों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को असली गुनाहगार ठहराया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लच्छेदार बातों पर यकीन करके भाजपा की बड़ी संख्या में सदस्यता ली और उन्हें ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाते हुए हरियाणा में पहली बार भाजपा को अकेले बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया। पीड़ितों ने कहा कि मोदी जी ने पक्के मकान बनाने के सपने दिखाये थे, लेकिन उनकीं सरकार ने तो बने-बनाए मकान ही तोड़ दिये। इतना ही नहीं, उनकीं सरकार ने तो इतना बुरा हाल करके भी सुध नहीं ली। पीड़ितों ने कहा कि जिस तरह से बीजेपी सरकार ने जूल्म ढ़ाये हैं, उससे बीजेपी अब उनकीं नजरों में ‘बेहद जलील पार्टी’ बनकर रह गई है।
पीड़ितों के लिए कांग्रेस बनेगी रहनुमा!
पीड़ितों के लिए रहनुमा बनने और पीड़ितों के आक्रोश को सरकार के विरूद्ध भुनाने के लिए हरियाणा कांग्रेस ने अपने प्रयास तेज कर दिये हैं। अपने इन्हीं प्रयासों के तहत प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता एडवोकेट खजान सिंह पीड़ितों की महापंचायत की अध्यक्षता हासिल करने में कामयाब हो गए। केवल इतना ही नहीं पीड़ितों के दुःख सांझा करने के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व बिजली व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी महापंचायत में पहुँचे। कैप्टन अजय सिंह यादव ने पीड़ित परिवारों को उजाड़ने व उनकीं सुध न लेने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई और पीड़ितों को न्याय दिलवाने के लिए हरसंभव सहायता करने का आश्वासन दिया। उनके अलावा कई अन्य स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने भी महापंचायत में सक्रिय रूप से भाग लिया और पीड़ितों की माँगों का समर्थन किया।
गैरकानूनी व अवैध किया अधिग्रहण!
गाँव फतेहपुर (झाड़सा) गुड़गाँव की जमीन को गैर-कानूनी व अवैध रूप से प्रदेश की भाजपा सरकार ने बिल्डरों को लाभ पहुँचाने के लिए अधिग्रहण किया है! पीड़ितों के इस दावे पर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व बिजली एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जिस जमीन को भाजपा सरकार ने अधिग्रहीत किया है, उसे तो वर्ष 2013 में कानूनी रूप से अधिग्रहण कानून से बाहर किया जा चुका है। ऐसे में इस जमीन का अधिग्रहण करना गैरकानूनी व अवैध हो जाता है। रोहतक लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस सांसद चौधरी दीपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एडवोकेट खजान सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए दावा किया है कि अधिग्रहण की गई खसरा नं. 6 कीला नं. 3/2 व 4 में बने मकानों व दुकानों को दिनांक 15 मई, 2015 को गैरकानूनी क्रिमीनल टेªसपास का अपराध हुडा विभाग, पुलिस विभाग, पूंजीपतियों, बिल्डर, यूनिवर्ल्ड व यूनिटेक और सभी सम्बंधित अधिकारियों ने किया है।
हरियाणा विधानसभा में गुँजेगा पीड़ितों का दर्द!
गाँव फतेहपुर (झाड़सा) के 250 गरीब पिछड़े परिवारों का दर्द हरियाणा विधानसभा के आगामी सत्र में गूँजने वाला है। यह भरोसा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने पीड़ितों को महापंचायत व मीडिया से बातचीत करते हुए दिलाया है। गाँव फतेहपुर (झाड़सा) में किए गए अधिग्रहण व पीड़ितों की सुध न लेने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार की परेशानियां बढ़ा सकता है। क्योंकि कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरने के लिए बड़ी मजबूती के साथ पीड़ितों का पक्ष विधानसभा सत्र में रखने वाली है। इससे प्रदेश की भाजपा सरकार बैकफुट पर आने के लिए बाध्य हो सकती है।
कप्तान अजय सिंह यादव महापंचायत को सम्बोधित करते हुए |
आम आदमी पार्टी की नेता और गुड़गाँव नगर निगम की वार्ड नं. 30 की पार्षद निशा सिंह पीड़ितों की सच्ची पैरोकार बनकर सामने आई हैं। जब निशा सिंह को सूचना मिली कि हुडा विभाग भारी पुलिस फोर्स के साथ गाँव फतेहपुर (झाड़सा) के 250 गरीब पिछड़े परिवारों को तबाह करने जा रही है तो वह तत्काल मौके पर पहुँची और मौके पर आला अधिकारियों को इस अवैध व गैरकानूनी कार्यवाही को रोकने की गुहार लगाई। लेकिन, उसकी किसी भी अधिकारी ने नहीं सुनी। इसी बीच, पुलिस ने अपनी बर्बर कार्यवाही को अंजाम देना शुरू कर दिया। इससे वहाँ बसे हुए लोग भड़क गये और हिंसा पर उतारू हो गए। इस हिंसा के लिए पुलिस ने निशा सिंह को दोषी ठहराते हुए उन्हें भी निशाने पर ले लिया। पुलिस की बर्बर कार्यवाही में निशा सिंह की कमर में चोट आई है। पुलिस ने उनपर कई गंभीर धाराओं के केस दर्ज किया है। सिविल अस्पताल से रिलीव होने के बाद निशा सिंह को अदालत ने जमानत दे दी है। 21 मई को पीड़ितों द्वारा बुलाई गई महापंचायत में निशा सिंह के ससुर सूरत सिंह झांझड़ियां ने निशा सिंह का पक्ष रखते हुए कहा कि निशा सिंह ने तो अधिकारियों से पुलिस कार्यवाही के वैध आदेश की प्रति दिखाने के लिए ही कहा था। लेकिन, पुलिस ने उनकों भी नहीं बख्शा। श्री झांझड़ियां ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाये, पीड़ितों को अकेला नहीं छोड़ा जायेगा और हर कदम पीड़ितों के साथ रहेंगे व हर स्तर पर मदद करेंगे।
पिछड़े व दलित संगठन लड़ेंगे पीड़ितों की लड़ाई!
अब आगे की लड़ाई लड़ने का ऐलान देश व प्रदेश के कई पिछड़े व दलित संगठनों ने किया है। हरियाणा कश्यप राजपूत सभा (रजि. 184) ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। हरियाणा पिछड़ा वर्ग जागृति मंच ने पीड़ितों की आवाज को बुलन्द करने व राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आन्दोलन छेड़ने का ऐलान किया है। हरियाणा दलित सभा ने महापंचायत में पीड़ितों की लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाने का संकल्प लिया है। हरियाणा अम्बेडकर संघर्ष समिति ने प्रदेश व केन्द्र सरकार के साथ-साथ राष्ट्रपति तक पीड़ितों का दर्द पहुँचाने व न्याय के लिए गुहार लगाने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय कश्यप महासभा ने पीड़ितों की कानूनी मदद करने की ठानी है। इसी तरह देश व प्रदेश के अन्य अनेक पिछड़े व दलित संगठनों ने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ताल ठोंकनी शुरू कर दी हैं।
मानवाधिकारों का हुआ खुला उल्लंघन!
1. नोटिस देने की औपचारिकता भर की गई!
पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए आसपास के इलाके में छुपे खौफजदा ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपना कीमती सामान और मासूम बच्चों, वृद्धों एवं प्रसूताओं को सुरक्षित जगह पहुँचाने का समय भी नहीं दिया और सुबह उठने से पहले ही हजारों पुलिसकर्मियों की फौज भूखे भेड़ियों की तरह उनपर टूट पड़ी। ग्रामीणों ने बताया कि एक दिन पहले शाम को पाँच बजे के आसपास उनके मकानों पर एक नोटिस चस्पा किया गया, जिस पर न किसी अधिकारी के हस्ताक्षर थे और न ही जगह अथवा तिथि का जिक्र था। इसमें ग्रामीणों को जगह छोड़ने के लिए मात्र 24 घण्टों का समय दिया गया था। लेकिन, नोटिस में दी गई इन 24 घण्टों की यह मोहलत भी नहीं दी गई और सुबह होते ही मात्र 10-12 घण्टों के बाद उन पर बर्बर हमला बोल दिया गया। इसमें मासूम बच्चों, प्रसूताओं, वृद्धाओं और बुजुर्गों को गम्भीर चोंटें आईं।
2. नोटिस के सन्दर्भ में अपील को किया अनसुना!
2500 पुलिसकर्मियों के दस्तों से घिर जाने के बाद जब ग्रामीण नोटिस में दी गई 24 घण्टे की मोहलत पूरा होने की अपील करने के लिए गए तो उन्हें बुरी तरह से पीटा गया और थाने ले जाकर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया।
3. एक प्रसूता, जिसने तीन दिन पहले बड़े ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया था, उसे भी नहीं बख्शा गया। अब यह प्रसूता खुले आसमान के नीचे बाहर खेतों में जमीन पर पड़ी है।
4. पिछले तीन दिन से मासूम बच्चे अपनी माताओं से मिलने के लिए रो रहे हैं। एक दो साल की बिटिया तो अपनी माँ-माँ कहकर बेसुध हुई जा रही है। इस बच्ची की माँ को पुलिस ने हिरासत मंे लिया हुआ है।
5. पुलिस की विध्वसंक और बर्बर कार्यवाही के दौरान घायल हुए लोगों का कोई उपचार नहीं करवाया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि जो भी व्यक्ति उपचार करवाने जाता है तो पुलिस उन्हें दबोच लेती है और जेल में डालकर बुरी तरह प्रताड़ित करती है।
6. पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही के उपरांत उजड़ चुके घायल लोगों के पास न पैसा है और न खाने के लिए आटा। सब बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भूखे-प्यासे मर रहे हैं और कहीं पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर ले, इसके लिए आसपास के इलाकों में खौफजदा होकर छुपने को विवश हैं। कई लोगों की हालत गम्भीर हो चुकी हैं।
7. मासूम बच्चों की पढ़ाई चौपट हो चली है। उनके कपड़े, किताबें आदि सब सामान हुडा विभाग ने मलबे में दबा दिये हैं। बच्चों को रोटी तक नसीब नहीं हैं तो स्कूल कैसे जा पाएंगे?
8. सभी ग्रामीणों के परिवार एक-दूसरे से बिछुड़े हुए हैं। किसी को भी एक-दूसरे की खैर-खबर नहीं है।
9. हुडा विभाग द्वारा जेसीबी मशीनों के जरिए सारे मकान जमींदोज कर दिये गए हैं। इस दौरान रूपये, आभूषण और सभी घरेलू उपकरण सरेआम लूट लिये गए और बाकी को मलबे में दबा दिया गया।
10. ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने किसी व्यक्ति के माध्यम से मानवाधिकार आयोग तक अपना दर्द पहुँचाया है, लेकिन इसके बावजूद उनकीं सुध कोई नहीं लेने आया है।
पीड़ितों को तत्काल मुहैया कराये जाएं मानवाधिकार : राजेश कश्यप
राजेश कश्यप महापंचायत को सम्बोधित करते हुए |
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के जिला अध्यक्ष एवं समाजसेवी राजेश कश्यप ने पीड़ितों द्वारा बुलाई गई महापंचायत में प्रशासन व प्रदेश सरकार से पीड़ितों को तत्काल मानवाधिकार मुहैया करवाए जाने की अपील की। उन्होंने पीड़ितों को छत, खाने-पीने का सामान, घायलों को इलाज, बच्चों की स्कूली शिक्षा जारी रखने और महिलाओं व लड़कियों की इज्जत सुनिश्चित बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि यह सब पीड़ितों के मानवाधिकार के दायरे में आते हैं। इसलिए, किसी भी सभ्य समाज व देश में किसी भी नागरिक को किसी भी हालत में इनसे वंचित नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, वर्तमान गाँव फतेहपुर (झाड़सा) हरियाणा के गुड़गाँव जिले के सैक्टर 47 में पड़ता है। यह पहले झाड़सा गाँव की पंचायत का हिस्सा था। सदियों पहले यहाँ पर एक बड़ा तालाब था और चारों तरफ घने जंगल खड़े थे। इस जगह पर ‘कश्यप’ जाति (जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘धीवर’ कहा जाता है) के बेहद गरीब परिवार आकर रहने लगे। उन्होंने इस तालाब में ‘सिंघाड़े’ उगाकर गुजर-बसर करना शुरू कर दिया। इसके कारण इस जगह का नाम ‘दोखर ढ़ाणी’ भी पड़ गया। इन गरीब परिवारों ने मेहनत-मजदूरी करके अपना जीवन-निर्वाह शुरू कर दिया। बाद में उन्होंने धीरे-धीरे जंगलों को साफ करके झोंपड़ी डालकर रहने लगे। पंचायत की रहनुमाई में इन गरीब परिवारों ने पिछले 50 वर्षों से अपना अलग गाँव फतेहपुर के रूप में विकसित कर लिया था। यहाँ के परिवारों के राशन कार्ड से लेकर तमाम सरकारी कागजात गाँव फतेहपुर (झाड़सा) निवासी के रूप में बनाये गए। इस समय इस गाँव में 250 घर बस चुके थे। ग्रामीणों ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2011 में स्थानीय हुडा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार दहिया ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि इस गाँव में 250 घर हैं और यह 150 से अधिक वर्षों से बसा हुआ है। ये लोग मजदूरी करके, चाय की दुकानें चलाकर, परचून की दूकानें खोलकर, रेहड़ी लगाकर, ऑटो व स्कूल वैन चलाकर और ठेके की जमीनों पर सब्जी उगाकर बेहद संघर्षमयी जीवन-निर्वाह कर रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 12 अगस्त, 2003 को सैक्सन -4 लागू करके इस गाँव (फतेहपुर) की 17 एकड़ जमीन का हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) विभाग ने अधिग्रहण करने का नोटिस निकाला गया। इसके बाद 10 अगस्त, 2004 को सैक्सन-6 के तहत अधिग्रहण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया। काफी विरोध के बावजूद हुडा विभाग ने 7 दिसम्बर, 2004 को अवार्ड घोषित करके जमीन की मुआवजा राशि को खजाने में जमा करा दिया गया था। लेकिन, तत्कालीन ग्राम पंचायत ने यह मुआवजा उठाने से मना कर दिया, क्योंकि यहाँ पर गरीबों का एक पूरा गाँव उजड़ने का सवाल था। बाद में, सरकार ने इस जमीन (गाँव) को नगर निगम में शामिल कर दिया। नगर निगम ने हुडा के घोषित मुआवजे को उठा लिया। इस तरह से येन-प्रकारेण इस जमीन पर अंततः हुडा विभाग का कथित तौरपर कानूनन मालिकाना हक आ गया। इसके बाद हुडा ने इस जमीन पर सेक्टर-बिल्डरों के सुविधार्थ पक्का सड़क मार्ग विकसित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके लिए हुडा विभाग ने जब भी इन ग्रामीणों को सदियों से बसे अपने आशियाने छोड़कर चले जाने का फरमान सुनाया तो सब ग्रामीणों ने मिलकर कड़ा विरोध किया और इसे उन्हें एक साजिश के तहत बेघर एवं बर्बाद करने का आरोप लगाया। इसके बावजूद, हुडा विभाग ने स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस की सहायता से कड़े कदम उठाते हुए जबरदस्ती गाँव की जमीन पर कब्जा हासिल करने का प्रयास किया। इसके तहत, कई बार ग्रामीणों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष भी हुआ। 11 पुलिस व ग्रामीणों का कड़ा आमना-सामना हो चुका था। इस बीच इन गरीब ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश और केन्द्र सरकार तक उन्हें उजाड़ने से बचाने की निरन्तर गुहार लगाई, लेकिन हर स्तर पर उनकीं गुहार अनसुनी कर दी गई। इन परिवारों ने स्थानीय नेताओं से लेकर अनेक समाजसेवी संगठनों के समक्ष भी अपना दुःखड़ा रोया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया और अंततः गत 15 मई, 2015 को हजारों पुलिस कर्मियों की विध्वंसक और क्रूरतम कार्यवाही के जरिये हुडा विभाग ने इन गरीब ग्रामीणों को उजाड़ने और बेहद खौफनाक सजा देने में कामयाबी हासिल कर ही ली।
शुक्रिया मीडिया
पीड़ितों ने उनके दुःख-दर्द को सांझा करने के लिए दिल से शुक्रिया अदा किया है और भविष्य में भी उनसे राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की अपील की है।
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