सोमवार, 26 अप्रैल 2010

बादशाहपुर माच्छरी का गाँव के एक कश्यप परिवार ने हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सामने रोया अपना दु:खड़ा

बादशाहपुर माच्छरी का गाँव का  एक कश्यप परिवार हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सामने अपना दु:खड़ा सुनाते हुए


दिनांक २५ अप्रैल, २०१० को हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र में कश्यप समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक के उपरांत गाँव बादशाहपुर माच्छरी जिला सोनीपत के एक कश्यप परिवार ने हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सामने अपना दु:खड़ा रोया। एक दबंग परिवार के अन्याय का शिकार हुये पीड़ित परिवार ने बताया कि....

"हम गाँव बादशाहपुर माच्छरी, जिला सोनीपत हरियाणा के स्थायी निवासी हैं और झीमर जाति से संबंध रखते हैं। हमारे रहने के मकान गाँव की शामलात भूमि में बने हुये हैं। हम तीन भाई मेहन-मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। कुछ दिन पहले भीम सिंह पुत्र दीपचन्द, कौम जाट ने हमारे खिलाफ एक मुकद्मा कोर्ट में दायर किया, मुकद्मा कई साल चलता रहा। बाद में मुकदमा भीम सिंह के पक्ष में दिया गया। जबकि भीम सिंह ने जो सबूत पेश किये थे वे किला नं. १३१ की रजिस्ट्री ए.बी.सी.डी. के द्वारा पेश की। जबकि हमारा मकान २२/२२ नं. किला में बना हुआ है, जो शामलात भूमि के अधीन है। यही नहीं हमारा पूरा गाँव शामलात भूमि में ही बसा हुआ है। जबकि भीम सिंह ने जो रजिस्ट्री तथा दूसरे सबूत दिये हैं वे हमारे मकान से कोई संबंध नहीं रखते। हम सब भाई तथा हमारा परिवार कटाई के लिये बाहर गये हुये थे और हमारा सारा सामान घर में ही था। इसके अलावा हमारे पशु (१० भैंसें) घर में ही थे। हमने जहां पर मकान बनाया हुआ था उस जगह की हमने निशानदेही करवाई थी, जोकि तहसीलदार की रिपोर्ट में साफ रूप से शामलात भूमि बताई गई है। इसके अलावा हमारे पास रहने के लिये कोई अन्य जगह नहीं है। प्रभावशाली लोग जिन्होंने हमारे साथ झगड़ा किया हुआ है, हमें गाँव में जाने से भी रोक रहे हैं। मजबूरन हमें दर-दर की ठोंकरें खानी पड़ रही हैं। घर में हमारा जो सामान था वह इस प्रकार है :-

पाँच टंकी अनाज, चार छोटी धान बी बासमती, चक्की, गंडासा, बर्तन, कपड़े, चार भैंस झल्लोर, २ लाख रूपये नकद तथा लड़की की शादी के लिये गहने रखे हुये थे। इस सारे सामान का कोई अता पता नहीं है।

हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरुक्षेत्र पहुंचे प्रार्थी
सुदेश कुमार सुपुत्र श्री ईश्वर सिंह
सतीश कुमार सुपुत्र श्री ईश्वर सिंह
सुरेन्द्र कुमार सुपुत्र श्री ईश्वर सिंह
गाँव बादशाहपुर माच्छरी, जिला सोनीपत।
फोन नंबर :
9813754595
9991358672
9466701688
9991358692


पीड़ित परिवार के मकानों को ढहाने का मार्मिक मंजर
यूँ उजाड़ी गयी सरकारी पीले पंजे द्वारा पीड़ित परिवार की दुनिया

तहसीलदार द्वारा पटवारी से मामले की मांगी गयी रिपोर्ट जिसमे पटवारी श्री सतीश कुमार की स्पष्ट  रिपोर्ट है की प्रार्थी का मकान गाँव की शामलात जमीन में बना हुआ है.



पीड़ित परिवार द्वारा श्रीमती चित्रा चोपड़ा , सदस्य सचिव, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग , सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय , भारत सरकार के समक्ष की गई अपील की प्रति.


श्रीमती चित्रा चोपड़ा , सदस्य सचिव, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग , सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय , भारत सरकार द्वारा  पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए जिला सोनीपत के डिप्टी कमिश्नर श्री अजित बाला जी जोशी को की गयी सिफारिश  

पीड़ित परिवार ने हरियाणा कश्यप समाज से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। पीड़ित परिवार की समस्या से रूबरू होने के लिये एवं मामले को संज्ञान में लेने के लिये हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया एवं प्रदेशाध्यक्षश्र ी देशराज कश्यप ने सोनीपत जिले के प्रधान श्री जय भगवान कश्यप एवं कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष श्री सुन्दर सिंह कश्यप को प्रारंभिक जिम्मेदारी दी गई। सभा की तरफ से पीड़ित परिवार को पूर्ण आश्वासन दिया गया कि यदि वास्तव में परिवार के साथ नाइंसाफी हुई है तो उसे न्याय दिलाने के लिये पूरा कश्यप समाज हर तरह का सहयोग देगा।
(रिपोर्ट : राजेश कश्यप, स्वतंत्र पत्रकार; लेखक व  समीक्षक एवं  प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक.)

कश्यप समाज की महत्वपूर्ण बैठक २५ अपै्रल, २०१० को प्रदेशाध्यक्ष श्री देशराज कश्यप की अध्यक्षता में सम्पन्न

मीटिंग में उपस्थित पदाधिकरिगन
हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र में धर्मशाला के प्रधान श्री जय राम कश्यप द्वारा प्रस्तावित मासिक बैठक दिनांक २५ अपै्रल, २०१० को प्रदेशाध्यक्ष श्री देशराज कश्यप की अध्यक्षता में दोपहर बाद २ से ५ बजे तक सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गई। इस बैठक में सभी जिला प्रधानों एवं धर्मशाला की कार्यकारिणी को भी आमंत्रित किया गया था। इनके अलावा बैठक में विशेष तौरपर सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया और कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष श्री सुन्दर सिंह कश्यप उपस्थित थे।

प्रस्तावित बैठक में निम्नलिखित चार एजेण्डे रखे गये थे :-

एजेंडे की प्रति

१. आगामी २४ मई, २०१० को ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ का आयोजन कहाँ और किस स्तर पर मनाया जाये तथा उसमें किसे मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाये।

२. हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र का १ जनवरी, २०१० से ३१ मार्च २०१० तक की आमदन व खर्च का हिसाब देकर विचार विमर्श करना।

३. हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला कुरूक्षेत्र की कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा सहयोग ना करने पर विचार-विमर्श।

४. १ फरवरी २०१० से ३१ मार्च २०१० तक की अवधि के बीच किये गये कार्यों की समीक्षा करके, भविष्य के कार्य पर मंत्रणा करने बारे।

यह बैठक क्रमवार इस तरह से चली :-

सर्वप्रथम पानीपत जिले के प्रधान श्री लखमीचन्द कश्यप को मंच संचालक बनाया गया। उनके आमंत्रण पर धर्मशाला प्रबन्धक श्री जय राम कश्यप ने बैठक में पधारे सभी पदाधिकारियों का स्वागत किया एवं धन्यवाद किया।

लेखा जोखा लेकर मीटिंग में उपस्थित धर्मशाला प्रधान श्री जय राम कश्यप जी
इसके उपरांत उन्होंने प्रस्तावित एजेण्डों को पुन: सभा के समक्ष रखा। श्री जय राम कश्यप ने सभा के समक्ष हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र का १ जनवरी, २०१० से ३१ मार्च २०१० तक की आमदन व खर्च का हिसाब सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया। इसके अलावा उन्होंने अन्य एजेण्डों पर व्यापक विचार विमर्श करने के लिये सभा के सदस्यों से आह्वान किया।

इसके उपरांत मंच-संचालक ने सभा के जिला प्रधानों को बारी-बारी से अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित करना शुरू किया। सर्वप्रथम जिला रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप को आमंत्रित किया गया।

राजेश कश्यप (जिला रोहतक प्रधान) :

रोहतक जिले के प्रधान राजेश कश्यप मीटिंग में अपने विचार रखते हुए
"पहले एजेण्डे के बारे में मेरा विचार यह है कि इस बार ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ प्रदेश स्तर पर धर्मशाला कुरूक्षेत्र में आयोजित की जाये और उसमें मुख्य अतिथि के तौरपर मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी को सादर आमंत्रित किया जाये, क्योंकि आज वे ही सक्षम हरियाणा कश्यप समाज की समस्याओं को हल करने मेें। कश्यप समाज काफी पिछड़ चुका है, अब उसे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक आदि हर स्तर पर Åपर उठाने की आवश्यकता खड़ी हो गई है। सभी पदाधिकारियों से लिखित में वो माँगे पूछी जायें जो कि कश्यप समाज के उत्थान में सहायक सिद्ध हों। इसके बाद उन माँगों को मुख्यमन्त्री के समक्ष रखी जायें। मेरी व्यक्तिगत राय में सबसे पहले हमें राजनीतिक भागीदारी की माँग रखनी चाहिए, दूसरा अन्य सन्तों, मुनियों, महात्माओं की भांति भी हमारे कुलगुरू ‘महर्षि कश्यप जी’ की जयन्ति पर प्रतिवर्ष २४ मई को राजकीय अवकाश घोषित करने की माँग रखनी चाहिए, हरियाणा के हर जिले में महर्षि कश्यप जी के नाम पर धर्मशाला अथवा चौपाल बनाने की माँग रखनी चाहिए, नौकरियों में भी कश्यप समाज का पूरा ध्यान रखने की माँग की जानी चाहिए। इस तरह से हर पदाधिकारी की राय लिखित में लेकर माँगों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिये और मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाना चाहिये। यदि इस अवसर पर मुख्यमन्त्री आने में असमर्थ रहते हैं तो उनका कोई प्रतिनिधि जैसे रोहतक के सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, श्रीमती आशा हुड्डा अथवा अन्य किसी वरिष्ठ मंत्री को बुलाया जा सकता है।

मैं धर्मशाला प्रबन्धक कमेटी के प्रधान द्वारा दिये गये गत तीन महीनों के हिसाब-किताब से पूर्णत: सहमत हूँ और बेहद खुशी एवं गर्व व्यक्त करता हूँ कि धर्मशाला का प्रबन्धन पहले से भी कहीं अधिक एकदम पारदर्शी एवं विश्वसनीय हुआ है। इसके लिये आप सभी बधाई के पात्र हैं।

मुझे ये जानकर बेहद अफसोस हुआ कि कार्यकारिणी के सदस्य अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस सन्दर्भ में मेरी सभी सदस्यों एवं पदाधिकारियों से विनती है कि वे नाक अथवा चौधर की प्रवृति छोड़कर सच्चे समाजसेवक की भूमिका निभायें, आज समाज को एकजूट होकर संघर्ष करने की जरूरत है। उनकी छोटी सी महत्वाकांक्षा समाज को बहुत पीछे ले जा सकती है। इसलिए भविष्य में आपसी सौहार्द भाव से एक दूसरे का सम्मान करते हुए कश्यप समाज की उन्नति में अपना पूरा-पूरा सहयोग करें।"



जयभगवान कश्यप (सोनीपत जिला प्रधान) :

"मेरा विचार है कि इस हमें ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर कुछ नया और खास करके दिखाना चाहिये, ताकि दुनिया को पता चल सके कि कश्यप समाज भी अपनी प्रमुख अहमियत रखता है। इसके अलावा हमारे समाज में शिक्षा का बेहद अभाव है। हमें शिक्षा की तरफ अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए। हमें उन होनहार बच्चों को भी सम्मानित करने का कदम उठाना चाहिये जो बच्चे बोर्ड की परीक्षा में कम से कम ६० प्रतिशत अंक हासिल करते हैं। समाज सुधार के लिए हमें किसी बड़े नेता को मुख्य अतिथि के तौरपर आमंत्रित करना चाहिये।"

राम सिंह कश्यप (करनाल जिला प्रधान) :

"हमारा गैर-राजनीतिक संगठन एवं समाजसेवी संगठन है। इसलिये हमें अपनी ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ को ग्राम स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर और जिला स्तर पर मनायें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इससे कश्यप समाज एवं महर्षि कश्यप जी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार होगा। यदि राज्य स्तरीय कार्यक्रम रखना है तो मुख्यमन्त्री को बुलाया जाये या अन्य किसी को बुलाने के लिए एक उच्च प्रतिनिधि मण्डल गठित करके इस पर फैसला लिया जाये। मेरी एक शिकायत यह है कि जिला प्रधानों को धर्मशाला के सदस्यों से परिचित नहीं करवाया गया। अंत में एक आ’वासन जरूर देता हूँ कि करनाल जिले का कश्यप समाज अपने समाज के उत्थान में सहयोग करने से कभी पीछे नहीं हटेगा।"

डा. राज कुमार (कुरूक्षेत्र जिला प्रधान) :

"हमें ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ प्रदेश स्तर पर मनानी चाहिये और उसमें किसी उच्च नेता को बुलाया जाये। वैसे जिला स्तर पर मनायें तो बेहतर होगा, ताकि हमारा सन्देश व्यापक तौर पर समाज में जाये।"

लखमीचन्द कश्यप (पानीपत जिला प्रधान) :

"जो अपने पूर्वजों को भूल जाता है, उसका वंश मिट जाता है। इसलिये हमें अपने पूर्वजों को कभी नहीं भूलना चाहिये। मेरा व मेरे जिले के लोगों का विचार है कि इस बार ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ प्रदेश स्तर पर मनाई जाये। इसमें मुख्यमन्त्री को बुलाया जाना चाहिये अथवा अन्य किसी भी अच्छे मंत्री को बुलाया जा सकता है। अंत में मेरा निवेदन है कि अब समाज को सिर्फ नाम के प्रधानों की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है काम करने वाले प्रधानों की। इसलिये काम न करने वाले प्रधानों को समाजहित में अपने पद से स्वत: हट जाना चाहिये और काम करने वाले लोगों को आगे आना चाहिये।"



राज सिंह (सदस्य, धर्मशाला  एवं उप्रधान) :

"मेरा विचार है कि इस बार ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ कुरूक्षेत्र में मनाई जानी चाहिये। इसमें सरकार के नुमाइन्दे को जरूर बुलाया जाना चाहिये। कमेटी बनाकर माँगों को सुनिश्चित किया जाये और सरकार द्वारा पारित करवाया जाये।"


सुखबीर कश्यप (सचिव, धर्मशाला) :

"हमारा मानना है कि इस बार ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ धर्मशाला में ही मनाई जाये। मुख्यमन्त्री अथवा सांसद को उसमें जरूर बुलाया जाये। इसके लिये पाँच सदस्यीय कमेटी बनाई जाये। हमें वर्तमान सरकार से साफ शिकायत है कि वह कश्यप समाज का नाम अपनी जुबान पर आज तक नहीं ला पायी है। हमें लगातार नजरअन्दाज किया जा रहा है। मेरा समाज से आह्वान है कि वे अपनी एकजूटता का परिचय दें। किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजूटता बहुत जरूरी है। हमें बरगलाने के लिए सरकार की तरफ से दिखावे की झण्डी व हवा की जरूरत नहीं है, हमें वास्तव में कश्यप समाज के उत्थान की आवश्यकता है। हमारा प्रधान मुख्यमन्त्री के बराबर की हैसियत रखता है। इसलिये नि:संकोच अपने समाज की बात मुख्यमन्त्री के समक्ष रखनी चाहिये।"



रामदिया कश्यप (खजांची, धर्मशाला) :

"हमें ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ ब्लॉक स्तर, ग्राम स्तर व जिला स्तर पर मनानी चाहिये। हम धर्मशाला प्रधान से पूछना चाहते हैं कि आखिर किस सदस्य ने अपेक्षित सहयोग नहीं दिया है। सभी ने बराबर सहयोग दिया है और आगे भी जारी रहेगा। हम सब एक फोन पर धर्मशाला में आ जाते हैं। इसलिये झूठा दोषारोपण न किया जाये।"



सुन्दर सिंह कश्यप (कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष) :

कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुन्दर सिंह कश्यप मीटिंग में अपने विचार रखते हुए


"मुझे सबसे बड़ी शिकायत है कि यह बैठक मेरे से पूछे बगैर निर्धारित क्यों कर दी गई? धर्मशाला की कमेटी किसने बनाई? यह पिछले तीन महीने का लेखाजोखा जो प्रस्तुत किया गया है, इसमें मैं कोई मीन-मेख नहीं निकालने की इच्छा रखता हूँ और न ही औचित्य समझता हूँ। जिले का हर प्रधान धर्मशाला कमेटी का सदस्य है, इसलिये कोई भी काम करने से पहले अथवा निर्णय लेने से पहले उनसे भी पूछा जाना चाहिये। सबसे पहले कमेटी के सदस्य किसी काम के बारे में निर्णय लें और फिर बाद में प्रदेशाध्यक्ष की अनुमति लें। समाज का पैसा सिर्फ चार ईंटे लगाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए उसे समाज के उत्थान में भी खर्च किया जाना चाहिए। समाज के विद्यार्थियों के किराये में भी वृद्धि करके जो १२०० रूपये रखे गये हैं, मैं उसका विरोध करता हूँ। वे जायज नहीं हैं। ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ मनाने के लिये जिस कमेटी के बनाने का प्रस्ताव है, उसके लिये मैं सहमत हूँ। समाज का पैसा मुख्यमन्त्री या मन्त्री पर खर्च करने के लिये नहीं है। वैसे तो मैं भी चाहता हूँ कि क्यों न इस बार प्रदेश स्तर पर ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ गोहाना में ही मनाई जाये। लेकिन लोगों की भावनाओं को देखते हुये इसका उचित निर्णय लिया जा सकता है। मुख्य अतिथि के तौर पर मुख्यमन्त्री को बुलाया जाये, नहीं तो जयन्ति जिला स्तर पर ही मनाई जाये। आज माच्छरी गाँव का जो केस सामने आया है, उसका हल कानूनानुसार करवाने का भरसक प्रयास किया जायेगा। मेरी जिला रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप से अपील है कि उन्होंने अपने महर्षि कश्यप जी पर शोध कार्य किया है, उसकी एक-एक प्रति सभी जिला प्रधानों को भेजने का कष्ट करें ताकि सभी को महर्षि कश्यप जी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल हो सके और समाज में व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।"



श्री बलजीत सिंह मतौरिया (सरपरस्त) :


सरपरस्त श्री बलजीत सिंह मतौरिया  मीटिंग को संबोधित करते  हुए
"धर्मशाला प्रबन्धन का हिसाब-किताब बिल्कुल सही, दुरूस्त एवं पारदर्शी है, यह एकदम सराहनीय है, मैं इसके लिये कमेटी का धन्यवाद करता हूँ और समाज की तरफ से धन्यवाद करता हूँ। ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ हमारे कुल की मर्यादा है, समाज की अन्दरूनी आत्मिक भावना है, अगाध श्रद्धा है, भक्ति भावना है, यह अटूट परंपरा है इसलिये समाज की हर भावना का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिये।

‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर एक विशाल भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमें किसी भी व्यक्ति को भूखा-प्यासा नहीं जाने दिया जायेगा। इसका खर्च धर्मशाला प्रबन्धन वहन करेगा। हमारा यह कार्यक्रम पूर्णत: सामाजिक रहेगा, इसमें राजनीतिक रंग बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं किया जायेगा। इसमें हर राजनीतिक एवं सामाजिक लोगों को सादर आमंत्रित किया जाता है। हमारे कश्यप समाज के भाई होने के नाते समाज की तरफ से विधायक डा. अशोक कश्यप को पहले ही सादर आमंत्रित किया जा चुका है।

मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि जो रोहतक जिले के प्रधान राजेश कश्यप ने सुझाव रखा है कि हमें ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर प्रतिवर्ष २४ मई को राजकीय अवकाश की माँग रखनी चाहिए, मैं इसका पूरा समर्थन करता हूँ और हर जिला प्रधान से प्रार्थना करता हूँ कि वे अपने-अपने स्तर पर ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर यह माँग सरकार के समक्ष अवश्य रखें।

इस अवसर पर चूंकि हमारी सभा एक सामाजिक संस्था है, इसलिये सामाजिक समस्याओं पर आधारित जैसे दहेजप्रथा, कन्या-भू्रण हत्या, बालिका ’िाक्षा आदि के पोस्टर छपवायें और इनको रोकने की ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर प्रत्येक आदमी शपथ ले।

हर समाज का अपनी शैक्षणिक संस्था है, लेकिन कश्यप समाज की नहीं है। इसके लिये अच्छी जगह तलाश करके पंचायत से प्रस्ताव पास करवाया जाये और अनुदान के लिये सरकार से अनुरोध किया जाये।

हमारे कश्यप समाज की ६ लाख ८५ हजार से अधिक वोट हैं, इसके बावजूद सरकार की तरफ से पूर्णत: अपेक्षित रहे हैं। भविष्य में ऐसा नहीं होने दिया जायेगा। हम राजनीतिक तौरपर नये सिरे से निर्णय लेंगे, ताकि समाज का वास्तव में कुछ सुधार हो सके।

प्रदेशाध्यक्ष श्री देशराज कश्यप अपनी अध्यक्षता में ग्यारह सदस्यी कमेटी गठित करें और समाज की तरह से प्रस्ताव पारित करके मुख्यमन्त्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से मिलें और ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ के लिये उनकी सुविधानुसार कार्यक्रम लेनें की कोशिश करें। यदि वे उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तो जिला स्तर पर ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ धूमधाम से मनाई जाये। इस पर्व पर प्रत्येक कश्यप समाज के घर में कम से कम पाँच-पाँच मोमबत्तियाँ व दीये जलाये जाने चाहिएं।

जो बच्चा खेल, शिक्षा अथवा अन्य किसी भी क्षेत्र में समाज का नाम रोशन करेगा उसे सभा की तरफ से सम्मानित भी किया जायेगा और उसकी आर्थिक सहायता भी की जायेगी।

प्रबन्धन कमेटी का हिसाब एकदम खरा है। सभी पदाधिकारियों को सूचित किया जाता है कि धर्मशाला में पधारने के लिये कोई टी.ए./डी.ए. नहीं दिया जायेगा, उन्हें स्वयं अपने खर्चे पर धर्मशाला की बैठकों में आना होगा। क्योंकि जो व्यक्ति बैठक में अपना किराया लगाकर नहीं आ सकता, वह भला क्या समाज की सेवा कर पायेगा?

आगे से किसी भी व्यक्ति को व्यर्थ में नुक्ताचीनी करने, लांछन लगाने अथवा अमर्यादित व्यवहार करने की बिल्कुल इजाजत नहीं दी जायेगी और न ही सहन की जायेगी।"



जय राम कश्यप (प्रधान, धर्मशाला) :


प्रधान, धर्मशाला जय राम कश्यप मीटिंग को संबोधित करते हुए
"प्रस्तुत किये गये हिसाब-किताब में पूरी तरह से ईमानदारी एवं पारदर्शिता बरती गई है। नियमानुसार कमेटी के सदस्यों की सर्वसहम्मति के बाद कार्य करवाये गये हैं, इसलिये लांछन लगाने का कोई तुक ही नहीं बनता है। यदि एक पैसा भी खोट में सीझ जाये तो मैं दो पैसे देने के लिये तैयार हूँ। मैं दिल से समाज की सेवा करने के लिये इस जिम्मेवारी को लिये हुये हूँ। यदि आपको ऐसा लगता है कि मेरे से बेहतर कोई अन्य व्यक्ति अच्छा काम कर सकता है तो मैं तत्काल अभी इस्तीफा देने के लिये तैयार हूँ। और उसका पूरा समर्थन एवं सहयोग देने के लिए तैयार हूँ। वैसे हमारे तीन आWडीटर हैं, हमने तीन बार उन्हें आWडिट के लिये बुलाया, लेकिन वे किसी कारणवश नहीं आये। यदि वे आकर आWडिट कर देते तो आज किसी को व्यर्थ में लांछन लगाने का मौका नहीं मिलता। भविष्य में इस पर और भी ध्यान दिया जायेगा। इस हिसाब किताब की एक-एक फोटोस्टेट सभी जिला प्रधानों को दी जायेगी। सभी जिला प्रधान धर्मशाला  कमेटी के सदस्य हैं, इसलिये वे मेहरबानी करके महीने में कम से कम दो-तीन बार धर्मशाला में आकर कार्यों की समीक्षा व देखरेख जरूर किया करें। काफी प्रयासों के बावजूद कोई कमी रह गई हो तो आगे उसका पूरा ध्यान रखा जायेगा। लेकिन धर्मशाला की मीटिंगों में जो बुलाये जाने के बावजूद नहीं आयेगा और बिना सूचना के तीन बार गैर हाजिर होगा तो उसे हटाकर नये सदस्य को ले लिया जायेगा। आगे से सभी पत्र रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजे जायेंगे और टेलीफोन भी किये जाएंगे। किसी को बहाना नहीं मिलेगा कि उसे पत्र नहीं मिला अथवा सूचना नहीं मिली।"

श्री देशराज कश्यप (प्रदेशाध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि) :


प्रदेशाध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि श्री देशराज कश्यप मीटिंग को संबोधित करते हुए
"हम समाज से हैं, समाज हमसे नहीं हैं। समाज ने हमको चुना है और समाज ही हमको हटा सकता है। इसलिये किसी भी पदाधिकारी को किसी तरह की गलत फहमी अथवा घमण्ड में नहीं रहना चाहिये। समाज का फैसला सम्मानीय होता है और माननीय होता है। हम सबको समाजहित में मिलकर चलना चाहिये और एक दूसरे का मान-सम्मान करना चाहिये।

कोई हमें एक बार भाई कहता हैं हमें चाहिये कि हम दो बार उसे भाई कहेंं। प्रबन्धन कमेटी का हिसाब-किताब बिल्कुल खरा है और सराहनीय है। इसमें एक भी पैसे का खोट नहीं हैं। यदि कोई एक पैसे का भी खोट सिद्ध कर देगा तो हम न केवल तत्काल पहले की तरह कमेटी को बदल देंगें बल्कि दण्डित भी करेंगे। जब तक कोई गलती सिद्ध न हो, कोई भी किसी पर गलत लांछन नहीं लगायेगा।

रहा सवाल ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर धर्मशाला का पैसा न खर्च करने का तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमने जितने भी कार्यक्रम किये हैं और उनपर खर्च किया है, उससे दुगना पैसा मिला है। समाज की श्रद्धा से यदि उदाहरण के तौरपर ५० हजार रूपया खर्च हुआ है तो ७२ हजार रूपये दानस्वरूप आये हैं। कहने का मतलब हर कार्यक्रम मुनाफे का रहा है और समाज हित में रहा है और समाज के कोष में बढ़ौतरी हुई है, कभी भी समाज के पैसे में कमी नहीं आने दी गई है। यदि भविष्य में कमी आई तो उसको चाहे में अपने व्यक्तिगत जेब से पूरा करूं लेकिन समाज के खाते में पैसे का नुकसान नहीं होने दिया जायेगा, ऐसा मैं विश्वास दिलाता हूँ।

हम समाज के समक्ष एक-एक पैसे के जवाबदेह हैं। समय की माँग के अनुसार कमरों के किराये बढ़ाये गये हैं। बेहद दु:ख का विषय है कि धर्मशाला में कुछ हुड़दंगी बच्चों के व्यवहार के कारण धर्मशाला प्रबन्धन को कुछ कड़े निर्णय लेने पड़े हैं। भविष्य में गरीब एवं जरूरतमन्द विद्यार्थियों की धर्मशाला की तरफ से समुचित मदद की जायेगी। इस समय धर्मशाला में कुल ८६ कमरे हैं, जिनमें १० कमरे समाज के गरीब शिक्षार्थी बच्चों के लिये आरक्षित किये गये हैं। यदि सभा प्रस्ताव पारित करेगी तो इस संख्या में बढ़ौतरी भी कर दी जायेगी। भविष्य में भी गलती करने वाले विद्यार्थियों को पहले दो-तीन बार समझाया जायेगा और मामला उनके परिवार वालों के संज्ञान में लाया जायेगा, इसके उपरांत उस पर उचित दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। शराब पीकर आने वाले समाज के किसी भी व्यक्ति को धर्मशाला में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा।

गुरू पर्व ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ पर सभी लोग घर-घर दीप एवं मोमबती जलाएं।

सरपरस्त महोदय की आज्ञानुसार ग्यारह सदस्यी कमेटी के लिये मैं स्वयं के अलावा कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुन्दर सिंह कश्यप, धर्मशाला प्रधान जय राम कश्यप, धर्मशाला  के अन्य एक सदस्य के साथ साथ सात जिला प्रधानों जिसमें रोहतक, सोनीपत, कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत आदि सम्मिलित हैं को नामित करता हूँ।

सभा की सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये जाते हैं :-

१. कमेटी मुख्यमन्त्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का समय लेने के लिये चण्डीगढ़ अथवा दिल्ली में मुख्यमन्त्री से मिलेगा और समय देने के लिये नम्र अनुरोध करेगा। यदि उनका समय नहीं मिलता है तो जयन्ति जिला स्तर पर ही मनाई जायेगी।

२. जयन्ति पर समाज के सभी लोग खर्च करें, अकेले जिला प्रधान को खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। यह सबका पर्व है, इसलिये सबको खर्च उठाना चाहिये। समाज के सभी व्यक्तियों का यह फर्ज बनता है।

३. प्रत्येक जिला स्तर पर जयन्ति मनाई जायेगी और ‘महर्षि कश्यप जयन्ति’ के लिये राजकीय अवकाश की माँग रखी जायेगी।

४. जयन्ति पर घर-घर दीप एवं मोमबतियां जलाईं जायेंगी।

५. जयन्ति के दौरान जिला स्तर पर अपने स्तर पर किसी भी मुख्य अतिथि को अथवा जिला प्रधान को शामिल किया जा सकता है।"

कमेटी द्वारा पारित प्रस्ताव की प्रति
इस तरह से यह विशेष मिटिंग समाज हित में कई अह्म फैसले लेते हुये सुखान्त तक पहुँची और सभी सदस्यों ने कश्यप समाज के उत्थान में अपना अधिक से अधिक योगदान देने का संकल्प दोहराया और महर्षि कश्यप की जय, कालू बाबा की जय, कश्यप समाज की जय के साथ बैठक सम्पन्न हो गई।

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक ने हरियाणा अम्बेडकज संघर्ष समिति के साथ मिलकर मनाई डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ति

बाबा भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप


कार्यक्रम में उपस्थित उप प्रधान रोहताश कश्यप एवं रोहतक ब्लाक प्रधान महेंदर सिंह कश्यप

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक समाज ने हरियाणा अम्बेडकज संघर्ष समिति के साथ मिलकर लाखन माजरा , रोहतक  में १४ अप्रैल को भारत रत्न बाबा डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ति मनाई। इस अवसर पर कश्यप समाज से मुख्य तौरपर जिला प्रधान राजेश कश्यप के अलावा जिला उपप्रधान रोहताश कश्यप एवं रोहतक ब्लॉक प्रधान महेन्द्र सिंह कश्यप ने भाग लिया। हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने समारोह में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवन पर विस्तार से प्रका’ा डालते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर वास्तव में गरीबों, दलितों, पिछड़ों एवं दबे-कुचले लोगों के लिए एक मसीहा थे। आज हम जो आजादी अनुभव कर रहे हैं, वो सब बाबा साहेब की ही देन हैं। श्री कश्यप ने आगे कहा कि बाबा अम्बेडकर ने हमें प्रगति का मूल मंत्र ‘शिक्षित बनो’, ‘संगठित रहो’ और ‘संघर्ष करो’ दिया, हमें उस पर चलने की बहुत जरूरत है। अब समय आ गया है, जब हमें एकजूट होकर अपने हकों के लिये लड़ना पड़ेगा।
राजेश कश्यप ने अपने संबोधन में आगे कहा कि हरियाणा कश्यप समाज दलितों एवं पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए बिल्कुल संकल्पबद्ध है और सभा ने दलितों एवं पिछड़ों के सभी महापुरूषों, देवताओं, सन्तों, मुनियों आदि की जयन्तियाँ संयुक्त रूप से मनाने का समाज के सभी वर्गों से आह्वान किया है। इसी कड़ी में सभा ने सैनी समाज एकता मंच, रोहतक द्वारा आयोजित ‘महात्मा ज्योतिबा फूले जयन्ति’ समारोह में विशेष तौरपर पर भागीदारी की थी और यह भागीदारी भविष्य में भी जारी रहेगी।
सभा के रोहतक ब्लॉक के प्रधान महेन्द्र सिंह कश्यप ने भी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमें बाबा साहेब के दिखाये मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। महेन्द्र सिंह कश्यप ने बड़ी खुशी जताई कि दलित एवं पिछड़े वर्ग द्वारा संयुक्त रूप से यह आयोजन किया गया।

"महात्मा ज्योतिबा फूले जयन्ति" में पहुंचे राजेश कश्यप


"महात्मा ज्योतिबा फूले जयन्ति" पर आयोजित कार्यक्रम में विचार व्यक्त करते हुए  राजेश कश्यप

महात्मा ज्योतिबा फूले की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भेंट करते हुए रोहतक जिले के प्रधान राजेश कश्यप

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हर सामाजिक कुरीति एवं समस्या के खिलाफ जमकर संघर्ष करेगी। इसके लिए सभा ने यह निर्णय लिया है कि कश्यप सभा समाज की सभी दलित एवं पिछड़ी समितियों, सभाओं, मंचों आदि को एकजूट होने का आह्वान करेगी और एक दूसरे को संयुक्त रूप से साथ लेकर चलने का अभियान शुरू करेगी। कश्यप सभा अपने सभी महान् पुरूषों, नेताओं, महात्माओं, मुनियों, सन्तों आदि का बराबर सम्मान करेगी, चाहे वे किसी भी जाति अथवा बिरादरी के क्यों न हों। कश्यप सभा हर उस समाजसेवी संस्था, समिति, संगठन अथवा मंच का आमंत्रण स्वीकार करेगी, जो वास्तव में दलित एवं पिछड़े समाज के कल्याण के लिए समर्पित होकर काम करने के लिए वचनबद्ध है।
हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक ने अपने इस नवीनतम अभियान के तहत ११ अपै्रल, २०१० को सैनी एकता मंच, शाखा रोहतक के प्रदेशाध्यक्ष श्री अनिल सैनी के द्वारा "महात्मा ज्योतिबा फूले जयन्ति" पर आयोजित विशेष कार्यक्रम के लिए दिए गए आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते हुए कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग लिया। इस अवसर पर हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि महात्मा ज्योतिबा फूले दलितों, पिछड़ों एवं अछूतों के महान् कर्मयोगी इंसान थे। महात्मा ज्योतिबा फूले ने समाज को हर समस्या से निपटने का एकमात्र रास्ता शिक्षा का बताया। राजेश कश्यप ने आगे कहा कि हमें अपने महापुरूषों को हमेशा याद रखना चाहिए और उनकी शिक्षाओं और दिए गए मार्गदर्शन को अधिक से अधिक प्रचारित-प्रसारित करना चाहिए। श्री कश्यप ने समाज का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने महापुरूषों पर आधारित बढ़िया साहित्य तैयार करना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनसे अच्छी तरह से अवगत हो सके। प्रधान राजेश कश्यप ने अपने संबोधन में सबको विश्वास दिलाया कि दलित-पिछड़ा वर्ग को एक मंच के नीचे लाने के अभियान में कश्यप समाज सदैव अग्रणी रहेगा और अपनी जिम्मेदारी से कदापि पीछे नहीं हटेगा।
सैनी एकता मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री अनील सैनी जी ने हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप के विचारों को बड़ा सराहनीय बताया और विश्वास दिलाया कि दलित-पिछड़ों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए हम सब मिलकर बहुत जल्द एक महाभियान की शुरूआत करेंगे। इस अवसर पर हरियाणा कश्यप राजपूत सभा के खण्ड रोहतक के प्रधान श्री महेन्द्र सिंह कश्यप भी मुख्य रूप से उपस्थित थे।

राजेश कश्यप को ‘अति बुद्धिमान’ के खिताब से नवाजा गया


राजेश कश्यप को ‘अति बुद्धिमान’ के खिताब से नवाजा
राष्ट्रीय प्रतियोगी पत्रिका ‘कम्पीटिशन सक्सेस रिव्यू’ ने हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहता का प्रधान एवं टिटौली निवासी एवं महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक में संस्थापित ‘चौधरी रणबीर सिंह शोध पीठ’ में शोध-सहायक पद पर कार्यरत युवा राजेश कश्यप को ‘अति बुद्धिमान’ (Mister Intelectual ) के खिताब से नवाजा है। इसकी उद्घोषणा पत्रिका के अपै्रल अंक के पृष्ठ ४५ एवं १२९ पर की गई है। राजेश कश्यप ने पत्रिका द्वारा आयोजित ‘सुपर ब्रेन युथ कॉन्टेस्ट २०१०’ के अन्तर्गत ‘भारतीय खेलों के पिछड़ेपन का कारण क्या है’ विषय पर आयोजित हिन्दी निबन्ध प्रतियोगिता में भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल करके अपने जिले एवं प्रदेश का नाम रोशन किया है। उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्र व पत्रिकाओं में राजेश कश्यप के ३००० से अधिक लेख एवं रचनाएं और आधा दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इससे पूर्व भी राजेश कश्यप रचनात्मक लेखन एवं उत्कृष्ट समाजसेवा के लिए कई विशिष्ट सम्मानों एवं पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। सामाजिक समस्याओं व कुरीतियों के खिलाफ लड़ना और गरीबों एवं असहायों की मदद करना राजेश कश्यप अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य मानते हैं।

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पिछड़ों को पिछड़ा बनाये रखने की संकीर्ण मानसिकता क्यों?/राजेश कश्यप

 एक अप्रेल से देश की सातवीं जनगणना का महापर्व शुरू हो चुका है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस जनगणना के दौरान बड़े महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्रित होंगे और जिनका प्रयोग अगामी दस वर्षों के दौरान लागू होने वाली योजनाओं के निर्माण में किया जाएगा। इस बार जनगणना के दौरान कुछ नए कार्यक्रम जोड़े गए हैं, मसलन राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करना, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों के मद्देनजर हर व्यक्ति की फोटो और उंगलियों के निशान लिए जाने हैं, ताकि नागरिकों का एक व्यापक बायोडाटा तैयार किया जा सके।
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस जनगणना के दौरान २५ लाख कर्मचारी आगामी ११ माह तक २४ करोड़ घरों तक जाएंगे और कई तरह के आँकड़े एकत्रित करेंगे। इसके साथ ही दलितों, आदिवासियों के अलावा धर्म के आधार पर भी डाटा तैयार करेंगे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण एवं हैरानी पैदा करने वाली बात यह है कि इस जनगणना के दौरान ओबीसी अर्थात् अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों का अलग से कोई डाटा तैयार नहीं किया जाएगा। सरकार ने ओबीसी जनगणना करने से साफ मना करते हुए दलील दी है कि दलित व आदिवासी के मामले में सत्यापन आसान है, लेकिन ओबीसी जातियों का सत्यापन आसान नहीं है। सरकार ने दोगलापन दिखाते हुए यहाँ तक कहा है कि आजाद भारत का सपना जातिविहिन समाज बनाने का था, इसलिए भी ओबीसी की गणना नहीं होगी।
कहना न होगा कि सरकार द्वारा ओबीसी की जनगणना न करने के पीछे जो दलील, तर्क अथवा बहाना पेश किया गया है, वह न केवल बेहुदा, बचकाना और दोहरी मानसिकता वाला है, बल्कि ओबीसी जाति के लोगों के साथ एक भारी छलावा भी है। क्या सरकार यह स्पष्ट करेगी कि जनगणना में ओबीसी की अलग से जनगणना न करने से यह देश जातिविहिन हो जाएगा? यदि ‘हाँ’ तो क्या इसका मतलब क्या देश में केवल ओबीसी जातियाँ ही ‘जातिपाति’ का पर्याय हैं? यदि ‘नहीं’ तो फिर सरकार ने जनगणना के माध्यम से ओबीसी की स्थिति स्पष्ट न होने देने की अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय क्यों दिया?
कितनी बड़ी विडम्बना का विषय है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को यह भी नहीं पता है कि उसके यहाँ ओबीसी की वास्तविक स्थिति है क्या? सरकार सिर्फ कयासों, अनुमानों और सैम्पल सर्वे रिपोर्टों के आधार पर ही ओबीसी के उत्थान के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों-अरबों रूपयों का बजट खर्च करने के दावे करके स्वयं को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है। शिक्षण संस्थानों एवं नौकरियों में भी ओबीसी को अलग से आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है तो वहाँ सरकार ओबीसी का सत्यापन कैसे कर लेती है? सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग की जातियों की बाकायदा सूची जारी की गई है तो फिर उनके सत्यापन का सवाल कहाँ से पैदा हो गया। यदि अकेले आन्ध्र प्रदेश में मुसलमानों को ओबीसी में शामिल करने का मुद्दा संकीर्ण राजनीति का शिकार हो गया है तो इसका मतलब शेष सभी राज्यों को भी इसी मुद्दे का हिस्सा बना दिया जाए? सहसा एक बार तो गहरा सन्देह पैदा होता है कि कहीं पिछड़ों को पिछड़ा बनाये रखने की संकीर्ण मानसिकता के चलते ही तो आन्ध्र प्रदेश का ओबीसी मुद्दा तो नहीं उछाला गया है?
यदि वास्तविकता देखी जाए तो ओबीसी जातियों का उत्थान आरक्षण के ढ़कोसले के बावजूद नहीं हो पा रहा है। क्योंकि जब हमें यह ही नहीं पता होगा कि हमारा लक्ष्य क्या है और उस लक्ष्य को भेदने के लिए कैसे प्रयासों की जरूरत होगी तो भला कोई लक्ष्य हासिल कैसे किया जा सकता है? जब ओबीसी की वास्तविक स्थिति का ही नहीं पता है तो ओबीसी उत्थान योजनाएं क्या खाक रंग दिखाएंगी? इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह कि ओबीसी को अनुमानित आँकड़ों की बाजीगरी में उलझाकर क्यों रखा जा रहा है? मण्डल कमीशन कहता है कि ओबीसी की आबादी ५२ फीसदी है, नेशनल सैम्पल सर्वे ३५ फीसदी का दावा करता है तो ग्रामीण विकास मंत्रालय ३८.५ फीसदी ओबीसी आबादी होने की लकीर पीट रहा है। आखिर सही किसको माना जाए?
यहाँ ओबीसी की जनगणना की वकालत महज आरक्षण के मुद्दे को लेकर नहीं की जा रही है। यहाँ मुख्य मुद्दा है भेदभाव बरतने का। जब जनगणना में सभी धर्मों की जनगणना हो रही है, सभी आदिवासियों के तथ्य इक्कठे किए जा रहे हैं और सभी दलितों की स्थिति जानी जा रही है तो पिछड़ों ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उसे सरेआम नजरअन्दाज कर दिया जाये? कहीं इस संकीर्ण मानसिकता के पीछे यह सोच तो नहीं है कि यदि ओबीसी को उसकी वास्तविक स्थिति का पता चल गया तो वर्तमान राजनीति में भूचाल आ जाएगा और सरकार के सभी समीकरण धराशायी हो जाएंगे या फिर ओबीसी वर्ग एक नए सिरे से अपने प्रति अव्यवस्थाओं व भेदभावों के विरूद्ध लामबन्द हो जाएगा? चाहे कुछ भी हो, इस तरह के सवाल पैदा होने स्वभाविक ही हैं।
यदि सरकार ओबीसी के मामले में निर्लेप एवं निष्पक्ष भूमिका में है तो उसे चाहिए कि ओबीसी सत्यापन में जो भी रूकावटें हैं, उन्हें शीघ्रातिशीघ्र दूर करवाए और देश की की एक बहुत बड़ी आबादी को यह स्पष्ट विश्वास दिलाए कि भविष्य में शीघ्र ही ओबीसी की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाएगा और वास्तविक आँकड़ों के आधार पर ही ओबीसी कल्याण के लिए योजनाओं का निर्माण एवं निष्पादन किया जाएगा। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो निश्चित तौरपर ओबीसी वर्ग में यह शंका और भी प्रबल हो जाएगी कि सरकार भी पिछड़ों को पिछड़ा बनाये रखने की संकीर्ण मानसिकता पाले हुए है।

(राजेश कश्यप)
प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत , रोहतक

ओबीसी का कॉलम भी जोड़ने के लिए राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल से अनुरोध

हरियाणा कश्यप राजपूत सभा ने एक याचिका-पत्र के माध्यम से गत १ अपै्रल को शुरू हुई महाजनगणना में ओबीसी का कॉलम भी जोड़ने के लिए राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल से अनुरोध किया है। यह जानकारी देते हुए हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने बताया कि गत १ अपै्रल, २०१० से बहुद्देशीय महाजनगणना-२०१० अभियान शुरू किया जा चुका है। इसमें ३५ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर आंकड़े एकत्रित किये जा रहे हैं। लेकिन विडम्बना का विषय है कि इसमें ओबीसी को पूरी तरह नजरअन्दाज किया जा रहा है। श्री कश्यप ने आगे कहा कि ओबीसी की जनगणना १९३१ में की गई थी, जिसमें पता चला था कि देश में ओबीसी की संख्या ५२ प्रतिशत है। काका कालेलकर आयोग द्वारा १९५५ में दी गई रिपोर्ट में ओबीसी की जनसंख्या ५२ प्रतिशत मानकर ही उन्हें २७ प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी। इन सब तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि ओबीसी का कालम एस.सी. व एस.टी. के साथ जनगणना फार्मेट में न जोड़ा जाना देश की आधे से अधिक जनसंख्या (५२ प्रतिशत) के साथ एकदम अन्याय है।

प्रधान राजेश कश्यप ने आगे बताया कि ओबीसी की जनगणना हुए ८० वर्ष बीत चुके हैं। स्थिति एवं परिस्थिति काफी बदल चुकी हैं। अब तक सिर्फ अनुमान पर आधारित आंकड़ों से काम चलाया जा रहा है। इस तरह न केवल ओबीसी वर्ग बल्कि पूरा दे’ा अंधेरे में है। ओबीसी वर्ग अपनी वास्तविक दशा को जानने की प्रबल इच्छा रखता है। श्री कश्यप ने बताया कि राष्ट्रपति महोदया से पत्र के माध्यम से अपील की गई है कि इस महाजनगणना-२०१० में एस.सी. व एस.टी. के कॉलम के साथ ओबीसी कॉलम भी तत्काल जुड़वाने के लिए तत्काल उचित कार्यवाही करें।

(राजेश कश्यप)

प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा , रोहतक

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